Language Chandra Bose was the leader of the heart of the country: K.K. Pathak

जयपुर। सुभाष चन्द्र बोस देश के ह्रदय के नेता थे, उन्होेंने देश सेवा के लिए आईसीएस की नौकरी एवं परिवार दोनों को ही न्यौछावर कर दिया। यह बात आज पाथेय कण संस्थान में आयोजित स्वामी विवेकानन्द और सुभाष बोस विषय पर आयोजित गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे राजस्थान के मुख्यमंत्री के सचिव के.के. पाठक ने कही । पाठक ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द एवं उनके गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस के विशेष प्रभाव के कारण उनके जीवन में यह सब संभव हो सका। नेताजी के जीवन में रहस्यावाद भी उसी का प्रभाव है।  पाठक ने कहा कि क्रांतिकारी बनाये नहीं जाते, जन्म लेते हैं । शिष्य गुरु को नहीं चुनता बल्कि गुरु शिष्य को चुनता है। स्वामी रामकृष्ण ने भी विवेकानन्द को चुना था। इसी तरह क्रांतिकारियों के लिए स्वयं ही सोपान तैयार हो जाते हैं । उन्होंने कहा कि आप जब कभी महान व्यक्तियों की जीवनी पढ़ेगे तो उनमें कृष्ण, मीरा व लक्ष्मीबाई, राम एवं राणा प्रताप में तथा स्वामी विवेकानन्द और नेताजी एक ही सदृश्य पायेंगे। गांधी, भगत और सुभाष में भी तीन प्रकार की विशेषताएं रही हैं। भगत सिंह किसी भी चीज को बुद्धि की कसौटी पर कसते थे, मृत्यु दण्ड के समय पर भी उन्होंने अपनी पुस्तक मैं नास्तिक क्यों हूँ? लिखना अपने आप में मिसाल है। महात्मा गांधी का नीति पक्ष पर जोर रहा वहीं नेताजी ने देश सेवा को सर्वोपरि माना और इसके लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया। उन्होंने बताया कि सुभाष बोस के कांग्रेस के अध्यक्ष बनने पर गांधी ने कहा था कि यह सुभाष की जीत नहीं ,गांधी की हार है।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राजेन्द्र चड्ढा ने कहा सुभाष चन्द्र बोस पर स्वामी विवेकानन्द का विशेष प्रभाव रहा। उन्होंने विवेकानन्द के सबसे निचले स्तर के व्यक्ति को उच्चतम स्तर पहुँचाने के संकल्प को अपने जीवन में उतारा और विद्यार्थी जीवन से ही देश सेवा में लग गये। कार्यक्रम के संयोजक पाथेय कण के संपादक कन्हैयालाल चतुवेर्दी ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक तिहाई योगदान क्रांतिकारियों का, एक तिहाई अन्य लोगों का रहा जबकि शेष एक तिहाई अकेले सुभाष चन्द्र बोस का रहा। उन्होंने 22 वर्ष की आयु में आईसीएस की परीक्षा पास कर देश सेवा के लिए नौकरी छोड़ी वहीं 27 वर्ष की उम्र में कलक्ता के मेयर बने और 41 वर्ष की उम्र में कांग्रेस के अध्यक्ष बने। और बाद में आजाद हिन्द फौज के माध्यम से देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। धन्यवाद ज्ञापित करते हुए पाथेय कण संस्थान के अध्यक्ष श्री गोविन्द प्रसाद अरोड़ा जी ने आगन्तुओं को आभार व्यक्त कर कार्यक्रम की सफलता की बधाई दी और इसी तरह के अन्य कार्यक्रम आयोजित किये जाने की अभिशंसा की ।

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