नयी दिल्ली। असंगठित क्षेत्र के खुदरा व्यापारियों के संगठन कैट ने जीएसटी ऑनलाइन नेटवर्क में कथित खामियों के लिए प्रौद्योगिकी कंपनी इंफोसिस को दोषी ठहराया है और कहा कि अगर कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती है तो वह उसके खिलाफ न्यायालय में जाएगा। कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज एक बयान में कहा कि जीएसटी पोर्टल बनाने वाली कंपनी इंफोसिस और एमी के कारण व्यापारियों को “बहुत परेशानी और मानसिक उत्पीड़न” का सामना करना पड़ा रहा है। घंटों बैठने के बाद भी पोर्टल पर रिटर्न फाइल करना बहुत मुश्किल है, जिसके वजह से जीएसटी जैसे अच्छे कर सुधार की साख पर बट्टा लग गया है।
कैट ने कहा कि यह समझ से परे है कि क्यों अब तक इंफोसिस और अन्य कंपनियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है जबकि वो पोर्टल के मामले में बुरी तरह फेल हो चुके हैं। 1400 करोड़ रुपये में इंफोसिस ने पोर्टल का ठेका लिया था। ऐसे में असफल साबित होने पर अब तक दंडात्मक कार्रवाई क्यों नहीं हुई? बयान में कहा गया है कि इंफोसिस ने इस संदर्भ में “रटा-रटाया बयान” जारी किया है कि पोर्टल ठीक से काम कर रहा है जो पूरी तरह से गलत है। कैट ने कंपनी को चुनौती दी है कि वह 10 शहरों में पोर्टल का नमूना सर्वेक्षण कराए, जिसमें सच्चाई सामने आ जाएगी कि पोर्टल पर काम करना कितना दुष्कर है। संगठन ने कंपनी के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग दोहराते हुए कहा है कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं गई तो उसे मजबूरन न्यायालय की शरण लेनी होगी।