women on Everest
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  • माउंट एवरेस्ट फतह के लिए आशा ने 28 लाख रुपए की व्यवस्था जान पहचान वालों, रिश्तेदारों और अपने पीएफ अकाउंट से पैसे निकालकर की।

झुंझुनू। राजस्थान में झुंझुनू जिले के घरड़ाना खुर्द की बेटी व हाल सिंघाना निवासी आशा झाझडिय़ा ने सोमवार सुबह 4 बजे माउंट एवरेस्ट फतह कर लिया। बेटी की इस उपलब्धि की जैसे ही सूचना मिली तो घरड़ाना खुर्द व सिंघाना गांव में खुशी का माहौल छा गया। परिजनों को बधाईयां देने वालों का तांता लग गया। आशा राजस्थान की पहली महिला है, जो माउंट एवरेस्ट की चढा़ई में फतह हासिल की। आशा के भाई विक्रम सिंह ने बताया कि माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई के लिए करीब 28 लाख रुपए का खर्चा था। एवरेस्ट की चोटी नेपाल व चीन में है। पैसे जमा होने के बाद ही अनुमति मिली। आशा ने 28 लाख रुपए की व्यवस्था जान पहचान वालों, रिश्तेदारों और अपने पीएफ अकाउंट से पैसे निकालकर की। आशा पूरी तरह से आश्वस्त थी कि वह देश के लिए माउंट एवरेस्ट की फतह हासिल करेंगी। आशा ने घरड़ाना खुर्द निवासी हाल सिघाना में रह रहे नेवी से रिटायर्ड लेफ्टिनेंट मोहरसिंह झाझडिय़ा के घर पर जन्म लिया। मोहरसिंह झाझडिय़ा के तीन संतान है। जिसमें सबसे बड़ी गायत्री व दूसरे नम्बर पर आशा है तथा तीसरे नम्बर पर बेटा विक्रम है। आाशा के पिता मोहरसिंह झाझडिय़ा को कई साल पहले ब्रेन हेमरेज हो गया था। उसी दौरान वे पैरालासिस से पीडि़त भी हो गए थे। जिस कारण उनके हाथ-पैर काम कम करते है। इसके उपरान्त भी पिता मोहरसिंह झाझडिय़ा ने बेटी आशा का हमेशा हौसला बढ़ाया ।
आशा की ससुराल हरियाणा के बलाहा खुर्द (नारनौल) में है। उनके पति अजयसिंह हरियाणा पुलिस में रेवाड़ी में सहायक थानेदार के पद पर कार्यरत है। गौरतलब है कि आशा 18 साल से चिकित्सा विभाग में नर्स पद पर कार्यरत है। फिलहाल आशा जाटूवास (कोटकासिम) प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में स्टाफ नर्स पद पर कार्यरत है। आशा के दो बच्चे है। आशा ने बताया कि 2015 में वह अमरनाथ यात्रा पर परिवार के साथ गई थी। यात्रा के दौरान रास्ते में दुर्गम बालटाल घाटी के बाद अमरनाथ की चढ़ाई का जुनून देखने पर वहां पर तैनात भारतीय सेना के जवानों ने कहा कि इस दुर्गम घाटी को इतने कम समय में पार किया है आप तो माउंट एवरेस्ट भी फतह कर सकती है। उसी दौरान मैने एवरेस्ट फतह करने की ठान ली। और घर आते ही तैयारियों शुरू कर दी।
आशा ने माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई के लिए दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल) की हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान में आवेदन किया। इसके बाद संस्थान ने आशा को बुलाया। माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई से पहले संस्थान की ओर से दो लेवल की परीक्षा ली जाती है। जिसमें पहली बीएमसी परीक्षा 5 मई से 1 जून 2016 के बीच हुई। उस बैच में 73 महिला प्रतिभागी थी। जिसमें 16500 फीट चोटी की चढ़ाई कर आशा ने ही पहला लेवल क्लीयर किया। बेसिक माउंटेनियरिंग कोर्स में ए ग्रेड हासिल किया। इसके बाद दूसरी एएमसी परीक्षा 19 अक्टूबर से 15 नवम्बर 2016 के बीच हुई। उसमें भी आशा ने 17500 फीट चोटी की चढ़ाई कर ए ग्रेड हासिल किया। आशा ने फाइनल माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई 7 अप्रेल 2017 से शुरू की थी।

  • पत्रकार रमेश सराफ की फेसबुक वाल से साभार

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