• राकेश कुमार शर्मा

जयपुर। देह व्यापार में लिप्त युवतियों के माध्यम से धनाढ्य लोगों को प्रेमजाल में फंसाकर और फिर देह शोषण का आरोप लगाकर ब्लैकमेलिंग करने वाले संगठित गिरोह का एसओजी राजस्थान ने पर्दाफाश किया तो उन्हें हर किसी की तरफ से दाद मिली। सरकार, पुलिस, मीडिया, समाज के साथ वकीलों के संगठनों और एडवोकेट्स ने भी एसओजी की इस कार्रवाई की सराहना की थी। आपको बता दें कि इस संगठित गिरोह को कुछ वकील व अपराध जगत से जुड़े लोग चला रहे थे। बार एसोसिएशन जयपुर ने तो बाकायदा गिरोह में लिप्त चार वकीलों की बार सदस्यता भी निलंबित कर दी है। बार काऊंसिल ऑफ राजस्थान भी कार्रवाई की कह रही है। हाई-प्रोफाइल रेप केस मामले में एसओजी को हर तबके का समर्थन मिला। एसओजी की इस दबंग कार्रवाई के बाद संगठित गिरोह से पीडित दर्जनों लोग ना केवल सामने आए, बल्कि गिरोह सदस्यों के खिलाफ लिखित शिकायतें भी दी। कुछ ने ऑडियो- वीडियो भी उपलब्ध कराए हैं। शिकायतकर्ताओं ने संगठित गिरोह के उन लोगों के भी नाम बताए, जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर गिरोह सदस्यों से जुड़े हुए थे और उनके साथ मिलकर काम भी कर रहे थे। इनमें कुछ पुलिसकर्मी भी थे, जो गिरोह के इशारों पर थानों में परिवाद लेकर पीडि़तों को धमकाने-समझाने और वसूलने के कथित धंधे में लिप्त रहे हैं। जिस डॉक्टर की शिकायत पर एसओजी ने इस गिरोह का पर्दाफाश किया है, वह डॉक्टर संबंधित थाने में ब्लैकमेलर गिरोह व युवती के खिलाफ शिकायत की थी, लेकिन उसकी शिकायत पर किसी ने सुनवाई नहीं की। मजबूरन एक मोटी रकम देकर गिरोह से पीछा छुड़वाया। जिस तरह एसओजी ने एक्शन लिया, वैसी ही कार्रवाई थाना पुलिस कर लेती तो समय रहते ना केवल गिरोह पकड़ जाता, बल्कि बहुत से लोग गिरोह से ठगने से बच जाते हैं। ऐसी कुछ ओर भी पीडि़तों ने शिकायतें की थी, जिनमें पुलिस की भूमिका संदिग्ध रही है। एकाध ऐसी भी शिकायतें आई है, जिनमें पकड़े गए गिरोह के अलावा दूसरे नामचीन लोगों के भी इसी तरह के गैरकानूनी धंधे में लिप्त होने संबंधी शिकायतें की गई है। हालांकि पुलिस की लिप्तता और संदिग्धता को लेकर एसओजी ने अभी तक चुप्पी साध रखी है, जबकि इस मामले के खुलासे को एक पखवाड़ा हो गया है। इस तरह के संगठित गिरोह बिना पुलिस के सहयोग के नहीं चल सकते, ऐसे आरोप-प्रत्यारोप सामने आने लगे हैं। सवाल उठ रहे हैं कि गिरोह से जुड़े पुलिसकर्मियों को क्यों बचाया जा रहा है। गिरोह में लिप्त चारों वकीलों को बार सदस्यता से निलंबित करने वाले जयपुर बार एसोसिएशन ने भी अपने प्रेस वक्तव्य में मामले की निष्पक्ष जांच की बात कहते हुए प्रकरण में अनुसंधान सीबीआई से करवाने की मांग की है। इससे साफ है कि एसओजी के अनुसंधान पर अब सवाल उठ रहे हैं। मीडिया रिपोटर्स, एसओजी कार्रवाई और पीडितों के बयानों से साफ है कि गिरोह के लोग थाने में झूंठे परिवाद और फिर इस्तगासे लगाकर लोगों से ब्लैकमेलिंग करते थे। गिरफ्तार गिरोह सदस्य भी पुलिस से सांठ-गांठ की कह चुके हैं। ऐसे में अब सवाल उठ रहे हैं कि एसओजी ने गिरोह सदस्यों को धर लिया, लेकिन उन पुलिसकर्मियों को अभी तक जांच के दायरे में नहीं लिया है, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर इस संगठित गिरोह से जुड़े हुए थे। अभी बार एसोसिएशन ने यह सवाल उठाया है। शिकायतकर्ता भी आरोप जड़ चुके हैं। कोई एक्शन नहीं लिया गया तो संभवतया: समाज और जनता भी ऐसे ही सवाल करेंगी। सवाल उठे, इससे पहले ही एसओजी को बिना भेदभाव के हर उस व्यक्ति को जांच के दायरे में लाना होगा, जो इस तरह के संगठित गिरोह से जुड़ा था और वह कितना ही ताकतवार क्यों ना हो। तभी ऐसे गिरोह नेस्तनाबूद हो सकेंगे।

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