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जयपुर, 7 मार्च। स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने शनिवार को विधानसभा में आश्वस्त किया कि आबूरोड़ नगर पालिका में कथित रूप से व्याप्त भ्रष्टाचार एवं अनियमितताओं की जांच कराई जाएगी।

धारीवाल ने विधायक संयम लोढ़ा की ओर से इस संबंध में रखे गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का जवाब देते हुए कहा कि अगर आबूरोड़ नगरपालिका में किसी भी तरह का भ्रष्टाचार तथा अनियमितता हुई है तो विधायक जिसके लिए कहेंगे उससे जांच करवा ली जाएगी।

इससे पहले श्री धारीवाल ने इस संबंध में अपने लिखित वक्तव्य मेें बताया कि आबूरोड़ नगर पालिका कार्यालय में मौजा मानपुर स्थित भूखण्ड़ सख्या 412 के नामांतरण हेतु पत्रावली प्राप्त होने पर सात दिवस की आपत्ति सूचना जारी की गई। आपत्ति मियाद पूर्ण होने पर कोई आपत्ति प्राप्त नहीं हुई। उन्होंने कहा कि प्रकरण में पट्टा ग्राम पंचायत आकराभट्टा का जारी होने से पट्टे की विधिक रिपोर्ट पालिका विधिक सलाहकार से ली गई। विधिक सलाहकार की रिपोर्ट में बताया गया कि ‘‘पट्टा’ ग्राम पंचायत आकराभट्टा द्वारा नियमानुसार प्रस्ताव पारित कर शुल्क जमा करके विधिवत जारी होना बताया गया।

श्री धारीवाल ने बताया कि विधिक सलाहकार द्वारा राय प्रदान की गई कि उक्त पट्टाधारी काना पुत्र रूपाजी राजपूत के विधिक उत्तराधिकारी पुत्र पुत्रियों में से पुत्रियों ने जरिये पंजीकृत हक त्याग विलेख के अपना हकत्याग दिया है, उसके पश्चात बचे उत्तराधिकारी पुत्रों ने सर्वाधिकारी पत्रधारी प्रदीप मिश्रा के मार्फत दिनांक एक जून 2018 को प्रार्थी को विक्रय कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि जिसका विलेख उप पंजीयक आबूरोड़ में पंजीकृत हुआ हैं। प्रकरण नामांतरण होने से मालिकाना हक के परिवर्तित नामों की चैन को ही देखा जाना होना है तथा उक्त प्रकरण के मालिकाना हक के नामों की चैन पूर्ण है।

स्वायत्त शासन मंत्री ने बताया कि वर्तमान में प्रभावी वैध रूप से पंजीकृत वैध विक्रय विलेख के माध्यम से प्रार्थी ही उक्त पट्टा नम्बर 66 दिनांक 29 अगस्त 1972 का काना पुत्र रूपाजी का एकमात्र स्वामी है जिसके नाम का नामांतरण करने में कोई विधिक आपत्ति नहीं है, नामांतरण किया जाना न्यायोचित है।’’ तत्पश्चात प्रकरण में राशि जमाकर नामांतरण स्वीकृत किया गया हैं।

श्री धारीवाल ने बताया कि इन्टीगे्रटेड हाउसिंग इन स्लम डवलपमेंट प्रोजेक्ट (आईएचएसडीपी) योजना के अन्तर्गत बोर्ड बैठक दिनांक 6 मई 2006 के प्रस्ताव संख्या 3 की स्वीकृति अनुसार योजना की डीपीआर बनवाई गई। जिसमें बोर्ड बैठक दिनांक 14 जून 2013 के प्रस्ताव 2 के द्वारा संशोधित डीपीआर बनवाई जाने हेतु प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति के अन्तर्गत ही भुगतान किया गया है। उन्होंने कहा कि किये गए कार्य हेतु समय-समय पर तकनीकी स्वीकृति पश्चात भुगतान किया गया है। वर्तमान में एक बिल 50 लाख रुपये का भुगतान किया गया है जो अधिशासी अभियंता की तकनीकी स्वीकृति पश्चात किया गया है।

उन्होंने कहा कि नगर पालिका आबूरोड़ द्वारा वर्ष 2019-20 में कोई भी आवासीय भूखण्ड में व्यावसायिक निर्माण स्वीकृति जारी नहीं की गई। उन्होंने बताया कि पालिका द्वारा एकीकृत भवन विनियम-2017 के बिन्दु संख्या 5.3 (03) के प्रावधानों के अनुसार एक प्रकरण में मिश्रित उपयोग की निर्माण स्वीकृति जारी की गई है। पालिका द्वारा वर्ष 19-20 में कोई भी भू-उपयोग परिवर्तन की कार्यवाही नहीं की गई।

श्री धारीवाल ने कहा कि माह फरवरी 2019 में तत्कालीन अधिशासी अधिकारी द्वारा एक प्रकरण में भू-उपयोग परिवर्तन की राशि जमा की गई थीं। परन्तु उक्त प्रकरण में भू-उपयोग परिवर्तन की स्वीकृति प्रदान नहीं की गई व न ही कोई भू-उपयोग परिवर्तन का आदेश जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि आबूरोड़ नगर पालिका द्वारा निविदा सूचना कमांक 3965 दिनांक 21 अक्टूबर 2019 जारी की गई, जिसे नियमानुसार सीपीपी पोर्टल पर अपलोड किया गया एवं राज्य स्तरीय समाचार पत्र राष्ट्रदूत व एक अन्य समाचार पत्र मृदुल पत्रिका में भी प्रकाशित करवाया गया।

स्वायत्त शासन मंत्री ने कहा कि प्रत्येक निविदा की अनुमानित मूल्य पाँच लाख रुपये से कम होने के कारण निविदा ऑनलाइन प्राप्त की गई एवं प्राप्त निविदाओं में स्थानीय निविदादाताआें द्वारा भी भाग लिया गया तथा निविदाएं खुले रूप से प्रतिस्पर्धात्मक प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि पालिका को किसी प्रकार की आर्थिक हानि होना प्रतीत नही होता है।

उन्होंने कहा कि अधिशासी अधिकारी निवास भवन कई वषोर्ंं से अधिशाषी अधिकारी का पद रिक्त होने से खाली पड़ा है, उक्त भवन नगर पालिका की सम्पत्ति होने से उक्त भवन का उपयोग उच्चाधिकारियों के निरीक्षण, स्वच्छ भारत टीम व अन्य पालिका के अतिथियों को ठहराने हेतु भी किया जाता रहा है। उक्त भवन में इस कारण ही पालिका द्वारा विद्युत कनेक्शन निरन्तर रखा गया है एवं पालिका द्वारा ही विद्युत बिल का भुगतान पालिका कोष से किया जाता रहा है। उन्होंने कहा कि नगर पालिका आबूरोड़ द्वारा पूर्व में तत्कालीन अधिशासी अधिकारी द्वारा 2018 मेंे हाई मास्क लाईट क्रय की गई थी। जिसका अधिकतम भुगतान तत् समय ही कर दिया गया था शेष राशि का भुगतान वर्तमान में किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रथम दृष्ट्या प्रकरण मे भुगतान संबंधी अनियमितता प्रतीत नहीं होती है।

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