-बाल मुकुन्द ओझा
अंतरराष्ट्रीय इंटरनेट दिवस 29 अक्टूबर को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य दूरसंचार और प्रौद्योगिकी के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन का सम्मान करना है। आज बिना इंटरनेट जीवन अधूरा लगता है। इंटरनेट हमारी दिनचर्या में पूरे तोर पर घुलमिल गया है। इंटरनेट की शुरुआत वर्ष 1969 में हुई थी जब अमरीका में सेना के लिए एक कंप्यूटर नेटवर्क तैयार किया गया था ताकि परमाणु युद्ध शुरू होने की स्थिति में सूचना का आदान प्रदान किया जा सके। इंटरनेट अरपानेट (एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी नेटवर्क) के रूप में जाना जाता था। चार्ली क्लाइन ने 29 अक्टूबर 1969 को पहली बार इलेक्ट्रॉनिक संदेश प्रेषित किया। इंटरनेट का मतलब है कि इंटरनेशनल नेटवर्क यानी पूरे विश्व के नेटवर्क को इंटरनेट करते हैं। तथा इसको हिंदी में अंतरजाल कहते हैं। एक ऐसा नेटवर्क जिसे पूरी दुनिया के कंप्यूटर आपस में एक तार से जुड़े होते हैं। या हम यह भी कह सकते हैं कि पूरी दुनिया के सारे कंप्यूटर मकड़ी के जाल की तरह आपस में एक दूसरे से ही जुड़े हुए हैं। वैसे आमतौर पर आम भाषा में इसे केवल नेट करके ही बोला जाता है। इंटरेस्ट को वर्ल्ड वाइड वेब के नाम से भी जाना जाता है। वेब यानी कि इसका अर्थ तरंगों से होता है। आज देश और दुनिया के लगभग सभी घरों में ऑनलाइन पढ़ाई, खरीदारी, मनोरंजन और अन्य कामों के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल हो रहा है। भारत की बात करे तो आज इंडियन इकॉनामी में सालाना 10 लाख करोड़ रुपए का योगदान भी दे रहा है। आज से बीस तीस साल पहले लोगों ने इंटरनेट का नाम तक नहीं सुना था मगर देखते देखते आज इंटरनेट आज हमारी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा बन गया है। आज हम हर छोटी-छोटी चीजों के लिए इंटरनेट पर सर्च करते हैं। वर्तमान समय में इंटरनेट ने लोगों के जीवन में एक नई क्रांति ला दी है। रोजमर्रा की जिन्दगी में अब सारे कार्य कंप्यूटर और इंटरनेट द्वारा किए जा रहे हैं। बहुत से लोगों का मानना है इंटरनेट के माध्यम से आमजन का जीवन आसान हो गया है क्योंकि इससे हम घर के बाहर गए बिना ही अपना बिल जमा करना व्यापारिक लेन -देन करना सामान खरीदना आदि काम कर सकते है.अब ये हमारे जीवन का खास हिस्सा बन चुका है। यहाँ तक की खाने पीने का सामान भी इंटरनेट से मंगाते है। वर्तमान समय में इंटरनेट ने लोगों के जीवन में एक नई क्रांति ला दी है। रोजमर्रा की जिन्दगी में अब सारे कार्य कंप्यूटर और इंटरनेट द्वारा किए जा रहे हैं।

छोटे बच्चों से लेकर युवा वर्ग और मध्यम वर्ग के लोगों में इंटरनेट को लेकर खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। परन्तु जहां एक तरफ इंटरनेट हमारे लिए वरदान साबित हो रहा है वहीं दूसरी ओर इंटरनेट के अत्याधिक इस्तेमाल से यह नुक्सान दायक साबित हो रहा है। इंटरनेट ज्ञान का खजाना है यह कहते हम थकते नहीं है। निश्चय ही यह हमारी जिंदगी में एक वरदान बनकर आया है मगर इसके दुरूपयोग ने हमें उजाले से अँधेरे में धकेलते देर नहीं लगायी यह भी एक सच्चाई है। पोर्न फिल्मे इंटरनेट की देन है। आज का युवा ज्ञान के स्थान पर अश्लीलता के अंधे कूप में गिर रहा है। यह सोचने और विचारने की बात है। आज बिना इंटरनेट जीवन अधूरा लगता है। इंटरनेट हमारी दिनचर्या में पूरे तोर पर घुलमिल गया है। भारत में इंटनेट को 26 साल पूरे हो चुके हैं। जी हां, 15 अगस्त 1995 में देश में पहली बार इंटरनेट का इस्तेमाल हुआ था। देश में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों की संख्या इस वर्ष मार्च तिमाही में बढ़कर 82.53 करोड़ हो गई जबकि दिसंबर 2020 की तिमाही में यह 79.51 करोड़ थी। देश और दुनिया में दिन-ब-दिन इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है। पहले बड़े इसे अपने काम के लिए करते थे और अब यह बड़ों से बच्चों के हाथों में पहुँच गया है। इंटरनेट निश्चय ही प्रगति और विकास का सूचक है। मगर मोबाइल के नौनिहालों के हाथ में पड़ जाने से यही विकास विनाश की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है। दूध मुहें बच्चों के हाथ में मोबाइल देखकर सिर पीटने को जी चाहता है। दोष बच्चे को दे या उसके मां -बाप को यह सोचने विचारने की बात है। एक मां से जब इस बारे में पूछा गया तो उसने मासूमियत से जवाब दिया क्या करे, यह किसी से बात ही नहीं करने देता। मोबाइल हाथ में आते ही उसमें खो जाता और हम भी अपनी बात या काम कर लेते है। यह एक घर की नहीं अपितु घर घर की कहानी है। इसका कोई अंत भी नहीं है। घर में खाने को दाने नहीं है मगर स्मार्ट फोन हाथ में अवश्य आ गया है।

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