नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नोटबंदी को लेकर किए गए फैसले के बाद इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (आईएमएफ) ने भारत को करेंसी संकट को हल करने के लिए सलाह दी है। आईएमएफ ने जो सलाह दी उसके अनुसार भारत को नई करेंसी की सप्लाई तेज करने के साथ-साथ ग्रामीण विशेषकर दूरदराज के इलाकों में एक बार फिर पुरानी करेंसी को मान्यता देने की दिशा में विचार करने की जरुरत है। आईएमएफ ने कहा कि 8 नंवबर को नोटबंदी को लेकर जो फैसला लिया गया। वह उसी तरह रहा जैसे कोई वैक्युम क्लीनर से सफाई करता है। आईएमएफ के एशिया-पैसिफिक मिशन में असिस्टेंट डायरेक्टर पॉल.ए. काशिन के अनुसार वैक्युम क्लीनर से कैश खींच लेने के बाद नई करेंसी को बाजार में लाने के लिए क्लीनर को रिवर्स चलाया जा रहा है। जिसके चलते भारत देश में खपत पर गंभीर असर पड़ा है। आईएमएफ की रिपोर्ट में कैश की समस्या से निपटने के लिए कुछ अन्य तरीके भी बताए। जिसमें करेंसी की निकासी पर लगे प्रतिबंध को हटाने सहित पुरानी करेंसी के टार्गेटेड इस्तेमाल का भी एक तरीका शामिल है। आईएमएफ ने सलाह देते हुए बताया कि नोटबंदी ने ग्रोथ रेट पर विपरित असर डाला है, ऐसे में सरकार को देश के बैंकों के एनपीए बढऩे के खतरों के प्रति सजग रहने की जरूरत है। साथ ही अर्थव्यवस्था के उन क्षेत्रों को मदद देने की जरुरत है। जहां नोटबंदी के बाद नुकसान सामने आया है। आईएमएफ के अनुसार नोटबंदी का नकारात्मक प्रभाव वर्ष 2017 की पहली तिमाही के दौरान जारी रह सकते हैं। हालांकि देश के अर्थशास्त्रियों विशेषकर सरकार से जुड़े आर्थिक सलाहकारों को आईएमएफ की यह सलाह गले नहीं उतर रही।

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