नई दिल्ली। नोटबंदी के चलते संसद का शीतकालीन सत्र में बहस नहीं हो पाई। हंगामे के चलते करीब-करीब सभी दिन के सत्र स्थगित रहे। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने भी इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए इस्तीफा देने की बात कह दी थी। यह भी कहा था कि अगर सत्र नहीं चले तो सांसद को सैलेरी और भत्ते नहीं दिए जाने चाहिए। आडवाणी की इस सलाह को संसद को एक सांसद पूरी तरह मान रहे हैं। अभी से नहीं बल्कि चार साल से संसद में कामकाज नहीं होने पर सैलेरी नहीं लेते हैं। ये सांसद है बीजू जनता दल के बैजयंत पांडा। जिन्होंने शीतकालीन सत्र की सैलरी और डेली अलाउंस लौटा दिया। पांडा ने मीडिया से कहा, कि संसद में जितने दिन काम नहीं होता मैं उतने दिन की सैलरी और अलाउंस लौटा देता हूं। ये काम 4 साल से कर रहा हूं। पांडा के इस फैसले की ट्विटर यूजर्स काफी तारीफ कर रहे हैं। ओडिशा से सांसद पांडा ने कहा, यह सिर्फ एक इशारा है। संसद की कार्रवाई में खर्चे की भरपाई का तरीका नहीं। हंगामे के चलते देश की बड़ी रकम बर्बाद हो जाती है। मेरा मन कहता है कि हम सांसद सभी फ ायदे लेते हैं और जिस काम की उम्मीद हमसे होती है वो ठीक से करते नहीं। मैंने 16 साल में कभी हंगामा कर कार्रवाई नहीं रुकवाई। संसद में बेहतर तरीके से काम हो, इसके लिए मैं नियमों में बदलाव को सपोर्ट करता हूं। ये बड़ा उद्देश्य है। फि लहाल सैलरी लौटाकर कम वक्त में जितना बन सकता है। करता हूं। यह पूछने जाने पर की, क्या दूसरे सांसदों को भी ऐसा करना चाहिए। पांडा ने कहा, मैं दूसरों को ऐसा करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। हर सांसद को खुद फैसला लेना चाहिए। हालांकि लोकसभा में हंगामे के लिए ज्यादा सांसद जिम्मेदार नहीं होते। मेरा फैसला व्यक्तिगत है। हर किसी पर लागू नहीं हो सकता है। केंद्रीय खेल मंत्री विजय गोयल ने बीजेडी सांसद पांडा के सपोर्ट में कहा, सांसद ने सकारात्मक कदम उठाया है। इससे जनता को थोड़ी शांति मिलेगी, जो विंटर सेशन के ऐसे खत्म होने से आहत है।र ाजनेताओं को पब्लिक के बीच बन रही अपनी इमेज के बारे में सोचना होगा। ऑल पार्टी को मीटिंग बुलाकर सेशन के हंगामे की भेंट चढऩे लिए सैलरी लौटाने पर चर्चा करनी चाहिए। पांडा ने संसद की कैंटीन में खाने पर मिलने वाली सब्सिडी खत्म करने को लेकर लोकसभा स्पीकर को पत्र लिख चुके हैं। पत्र में कहा था कि केन्द्र सरकार ने जनता से एलपीजी सिलेण्डरों पर सब्सिडी छोडऩे की अपील की थी। वैसे ही सांसदों को भी कैंटीन में मिलने वाली सब्सिडी को खुद ही छोड़ देना चाहिए, ताकि गरीबों को इसका फ ायदा मिल सके। आरटीआई की सूचना के मुताबिक संसद भवन परिसर में चल रहीं आधा दर्जन कैंटीन में 2013-14 में करीब 14 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी गई।

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