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delhi.केवल सहभागिता से ही हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। नागरिकों के बीच में सहभागिता, समुदायों के बीच सहभागिता, देशों के बीच सहभागिता। सतत विकास एजेंडा इसकी झांकी है। यह बात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज यहां पार्टनर्स फोरम, 2018 का उद्घाटन करते हुए कही। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने मातृत्व, बाल और किशोरों के स्वास्थ्य के संबंध में 36 उत्कृष्ट पद्धतियों के सारांश वाली कॉफी टेबल बुक ‘प्रूवन पाथ्स’ का भी विमोचन किया।

इस समारोह में केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जे.पी नड्डा, नेपाल के उप प्रधान मंत्री उपेंद्र यादव, इंटर पार्लियामेंट्री यूनियन की अध्यक्ष गैब्रिला क्यूवास बैरॉन, बेलीज की प्रथम महिला किम सिम्पलिस बैरो, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे और श्रीमती अनुप्रिया पटेल, सचिव (स्वास्थ्य और परिवार कल्याण) श्रीमती प्रीती सूडान और एक्टिंग बोर्ड चैयर सुश्री तिखाला इताय, शी डिसाइड्स ग्लोबल मूवमेंट की अध्यक्ष, 21 देशों के 23 मंत्री और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों तथा 85 देशों के प्रतिभागियों ने भी हिस्सा लिया।

प्रधानमंत्री ने कहा, “मातृत्व, नवजात और बाल विकास के लिए सहभागिता एक अनोखा और प्रभावशाली मंच है। हम केवल बेहतर स्वास्थ्य की बात नहीं करते। हम तेज विकास के लिए भी बात करते हैं।“ उन्होंने कहा कि भारत उन पहले देशों में शामिल है, जो किशोरावस्था पर विशेष ध्यान देने की बात करते हैं तथा किशोरों के लिए सघन स्वास्थ्य संवर्धन और रोकथाम कार्यक्रम लागू करते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे प्रयासों से यह सुनिश्चित हो सका कि 2015 में अपनाए जाने वाली महिलाओं, बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य संबंधी वैश्विक रणनीति में उन्हें उनकी पहचान मिल सके।

देश के टीकाकरण कार्यक्रम की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह विषय उनके दिल के बहुत करीब है। उन्होंने कहा, “इन्द्रधनुष मिशन के तहत पिछले तीन वर्षों के दौरान हम 32.8 मिलियन बच्चों और 8.4 मिलियन गर्भवती महिलाओं तक पहुंचे हैं। हमने सर्वव्यापी टीकाकरण के तहत टीकों की संख्या 7 से बढ़ाकर 12 की हैं। हमारे टीकों के दायरे में निमोनिया और डायरिया जैसे प्राणघातक रोग भी शामिल हैं।“

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने गर्भावस्था के दौरान माताओं को हर संभव सुविधा प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान की शुरूआत की थी। उन्होंने कहा, “हमने निजी क्षेत्र के डॉक्टरों से आग्रह किया था कि वे इस अभियान के लिए प्रतिमाह एक दिन सेवा देने का संकल्प करें। इस अभियान के तहत 16 मिलियन प्रसव-पूर्व जांच की गईं।“ प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में 25 मिलियन नवजात शिशु हैं। उन्होंने कहा, “हमारे यहां नवजात शिशुओं की देखभाल की सुदृढ़ प्रणाली मौजूद है, जो 794 उत्कृष्ट विशेष नवजात शिशु सुविधा इकाइयों के जरिये 10 लाख से अधिक नवजात शिशुओं की देखभाल करती है। यह हमारी एक सफल प्रणाली है। हमारी इस पहल से 4 वर्ष पहले की तुलना में प्रतिदिन 5 वर्ष से कम आयु वाले 840 अतिरिक्त बच्चों के जीवन की रक्षा होती है।“
इस अवसर पर केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जे.पी नड्डा ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री के ऊर्जावान नेतृत्व में हमारे प्रयास फलदायी हो रहे हैं। उन्होंने कहा, “हम मातृ और शिशु मृत्यु दर में तेज रफ्तार से कमी लाने के गवाह बने हैं, जो इस कमी की वैश्विक औसत से कहीं ज्यादा तीव्र गति से हुआ है और हम लक्षित समयसीमा से काफी पहले एसडीजी लक्ष्य प्राप्त करने को प्रतिबद्ध हैं।”
उन्होंने कहा कि सरकार संपूर्ण स्वास्थ्य कवरेज के स्वपन को साकार करने के निकट पहुंच रही है। श्री नड्डा ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं में पर्याप्त बदलाव लाने में सक्षम आयुष्मान भारत योजना की दुनिया भर में सराहना हो रही है। इस अवसर पर श्री नड्डा ने “मार्केटप्लेस” का भी उद्घाटन किया।
पार्टनर्स फोरम का सह-आयोजन स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और मातृत्व, नवजात एवं बाल स्वास्थ्य सहभागिता मंच की ओर किया गया। दो दिन के इस आयोजन में 85 देशों के 1200 से ज्यादा प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इससे पहले इसका आयोजन तन्जानिया के दार-ए-स्लाम में 2007, नई दिल्ली में 2010 और दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग 2014 में जा चुका है।

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