जयपुर। आमेर में 28 फरवरी, 2००6 को 25 लाख रुपए में नाले की जमीन क्रय कर 21 नवम्बर, 2०13 को 5 करोड रुपए में गुनावता एग्रो फार्मस एण्ड रिसोर्टस, गुडगांव के निदेशक सुधीर के. दीवान को विक्रय करने एवं स्टांप ड्यूटी चोरी के मामले में पेश किये गये इस्तगासे को सोमवार को महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-17 में जज योगेश चन्द्र यादव ने कोई अपराध घटित होना नहीं मानते हुए खारिज कर दिया। इससे पूर्व बनीपार्क थाना पुलिस ने भी आरोपों को नकारते हुए कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट पेश की थी। कोर्ट के आदेश से केन्द्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि, उनकी पत्नी मीरा महर्षि सहित अन्य को राहत मिल गई।
इस संबंध में अशोक पाठक ने 7 सितम्बर, 2०15 को महर्षि दम्पती के अलावा तत्कालीन डीआईजी स्टाम्प बाबू लाल यादव व ज्योति चौहान, उप पंजीयक मुबारक हुसैन व नरेन्द्र मीणा, क्रेता सुधीर के. दीवान, लबाना ग्राम के पटवारी सहित अन्य के खिलाफ परिवाद पेश किया था। परिवादी के वकील सुनील वशिष्ठ ने कोर्ट को बताया कि महर्षि दम्पती ने गुनावता गांव में 1.26 हैक्टर व1.27 हैक्टर कृषि भूमि खरीदी। जिसमें ०.2० हैक्टर नाले की जमीन थी। दोनों ने बाद में इस भूमि का गैर कृषि भूमि के रूप में भू-उपयोग परिवर्तन करा लिया और बाद में बेच दी। परिवाद में कहा कि स्टाम्प ड्यूटी से बचने के लिए अधिकारियों ने मिलीभगत कर पंजीयन विभाग में भूमि गैर कृषि की बजाए कृषि भूमि के रूप में पंजीकृत करा दी गई।