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नई दिल्ली। सूचना प्रौद्योगिकी के इस दौर में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में अब फेसबुक भी मदद करेगा। सोशल मीडिया प्लेटफार्म बहुत हद तक भ्रष्टाचार पर लगाम कसने में कारगर सिद्ध हो सकते हैं। विशेषकर उन देशों में जहां मीडिया के हाथ बंधे हैं। शोध के अनुसार भारत में 2012 के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के दौरान सोशल मीडिया के प्रभाव का अध्ययन किया था। अमेरिका में वर्जीनिया पॉलीटेक्निक इंस्टीट्यूट एंड स्टेट यूनिवर्सिटी (वर्जीनिया टेक) के सुदीप्त सारंगी ने बताया कि 150 से अधिक देशों के आंकड़ों का उपयोग करते हुए उनका क्रास-कंट्री विश्लेषण दर्शाता है कि फेसबुक अधिकतर सार्वजनिक उपयोग का काम करता है। इससे सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदर्शन की संभावना ज्यादा रहती है। कहा जाए तो सोशल मीडिया, प्रेस के सहकर्मी के रुप में काम करता है।
सुदीप्त सारंगी ने बताया कि यह अध्ययन इंटरनेट पर स्वतंत्रता के महत्व को रेखांकित करता है, क्योंकि दुनिया के बहुत से देशों में इस पर खतरा है। जिन देशों में मीडिया को कम स्वतंत्रता मिली हुई है वहां फेसबुक सरकारी भ्रष्टाचार को कम करने में फायदेमंद साबित हो सकता है। शोधकताओं ने 2011 में अरब क्रांति की शुरुआत को लेकर भी गंभीरता से जांच की है। इन बड़े-बड़े विरोध प्रदर्शन कर सरकारों को तक गिरा दिया था। सोशल मीडिया की पहुंच छोटे से छोटे और बड़े बड़े से तबके तक है।

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