High Court asked Arnab, Republic TV to respect Tharoor's right to remain silent

जयपुर. कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने संयुक्त राष्ट्र में हिंदी को आधिकारिक भाषा बनाने के खिलाफ अपने रूख का बचाव करते हुए आज कहा कि इस पहल से उन नेताओं को कोई फायदा नहीं होगा जो हिंदी नहीं बोल सकते।
संयुक्त राष्ट्र में हिंदी को आधिकारिक भाषा बनाने को लेकर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और थरूर के बीच इस महीने की शुरुआत में लोकसभा में बहस हुई थी। सुषमा ने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र में हिंदी को आधिकारिक भाषा बनाने के लिए सरकार सभी खर्च उठाने के लिए तैयार है जिस पर थरूर ने इसके उद्देश्य को लेकर सवाल उठाए थे।

थरूर ने कहा था कि भारत को इस तरह का कोई प्रयास नहीं करना चाहिए क्योंकि हिंदी केवल भारत की आधिकारिक भाषा है न कि राष्ट्रीय भाषा। जयपुर साहित्य उत्सव में उन्होंने कहाए ष्ष्मैं लोकसभा में सुषमा स्वराज को जवाब दे रहा था कि संयुक्त राष्ट्र में हिंदी को आधिकारिक भाषा बनाने के लिए जरूरत पड़ने पर भारत 400 करोड़ रुपये तक खर्च करने के लिए तैयार हैण्ण्ण् मैं स्पष्ट करना चाह रहा था कि इस पहल से भारतीय नेताओं को दिक्कत होगी।ष्ष् थरूर ने अपने तर्क के समर्थन में क्षेत्रीय नेताओं पीण् चिदंबरम या प्रणब मुखर्जी का उदाहरण दिया जिनकी मातृभाषा हिंदी नहीं है।

संयुक्त राष्ट्र में जनसंचार एवं जनसूचना अवर महासचिव रहे थरूर ने कहा कि हिंदी ष्ष्भारत की राष्ट्रीय भाषा नहीं है। हालांकि बॉलिवुड की लोकप्रियता के कारण दक्षिण में भी कुछ हिंदी समझी जा रही है जो अच्छी बात है।

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