-284 वर्ष पुराना वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, लगभग 6 किमी में फैला है कैचमेंट एरिया
जयपुर: राजस्थान सरकार के पुरातत्त्व एवं संग्रहालय विभाग द्वारा आज नाहरगढ़ किले में ‘हेरिटेज वाटर वाॅक‘ का आयोजन किया गया। इस वाॅक का संचालन रेन वाटर (रिसर्च, एडवोकेसी एंड इनोवेशन इन वाटर) के नीरज दोषी ने किया। दो घंटे की इस वाॅक के दौरान श्री दोषी ने बताया कि नाहरगढ़ किले के वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की कहानी अपनी आवष्यकताओं की पूर्ति के लिए कुछ नया करने की राजस्थानी समाज के प्रतिभा की कहानी है।
सवाई जय सिंह (1698-1740) के शासनकाल के दौरान 1734 में निर्मित नाहरगढ़ की व्यापक जल संचयन प्रणाली इस किले की अत्यंत महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक है। जल सग्रह की यह प्रणाली नाहरगढ़ किले के आसपास के लगभग 6 किलोमीटर क्षेत्र में फैली है। यहां जल संचयन के 6 क्षेत्र छोटी कैनाल, एक्वाडक्ट और ड्रेन के नेटवर्क के जरिए किले के अंदर एवं बाहर परस्पर जुड़े हुए हैं। छोटी कैनाल के जरिए पहाड़ियों से वर्षा जल नीचे आता है। इन कैनाल के तल पहाड़ियों के ढलान पर इस तरह से डिजाइन किये गये है कि वर्षा जल इनसे होता हुआ सरलता से नीचे आ जाता है। नाहरगढ़ में दो बड़ी बावड़ियां हैं और एक छोटी बावड़ी भी है, जिसे कुंड कहा जाता है। बड़ी बावड़ियों में आसपास की पहाड़ियों से पानी आता है, जबकि छोटे कुंड में मात्र किले के भीतर से वर्षा जल आता है।
राजस्थान सरकार के पुरातत्त्व एवं संग्रहालय विभाग के निदेशक हृदेष शर्मा ने जानकारी दी कि नाहरगढ़ किले में आयोजित दो घंटे की यह वाॅक राजस्थान की संस्कृति में जल के महत्व एवं हमारे पूर्वजों के ज्ञान को दर्षाने के उद्देष्य से तैयार की गई है। नाहरगढ़ के भव्य किले में लुप्त कहानियों को जानने के साथ-साथ यह वाॅक जंगल में घूमने का आनंद और किले की भव्यता देखने का अवसर भी प्रदान करती है।