नई दिल्‍ली. वित्‍त एवं कार्पोरेट कार्य राज्‍यमंत्री श्री अनुराग ठाकुर ने कहा है कि सरकार ने ‘चलता है का रवैया’ पीछे छोड़ दिया है और ‘बदल सकता है’ की दृष्टि अपना ली है। उन्‍होंने कहा कि ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों,विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों की जनता को प्रौद्योगिकी का लाभ सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल इंडिया और डिजिटल भुगतान आरंभ किया गया है। उन्‍होंने कहा कि सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि प्रौद्योगिकी के लाभ कुछ गिने-चुने लोगों तक सीमित न रहे, बल्कि समाज के सभी वर्गों को उपलब्‍ध हो सकें।

आज नई दिल्‍ली में डिजिटल और नकदी रहित अर्थव्‍यवस्‍था पर एक सम्‍मेलन ‘दॅ फ्यूचर ऑफ इंडियाज डिजिटल पेमेंट्स’ को सम्‍बोधित करते हुए ठाकुर ने एक छोटी सी घटना के बारे में बताया कि पिछले महीने जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी केरल के गुरूवयूर में श्रीकृष्‍ण मंदिर गए थे तो उन्‍होंने मंदिर के अनुष्‍ठानों के लिए डिजिटल लेनदेन के माध्‍यम से अग्रिम भुगतान किया था। ठाकुर ने बताया कि अपने इस कार्य के माध्‍यम से प्रधानमंत्री ने इस विचार को प्रेरित किया कि ‘नए भारत में मंदिर, परम्‍परा और प्रौद्योगिकी का अस्तित्‍व एक साथ कायम रह सकता है।‘ उनके इस कार्य ने मंदिर जाने वाले देशभर के लाखों लोगों को डिजिटल माध्‍यम अपनाने के लिए प्रेरित किया। उन्‍होंने कहा कि इसी तरह परम्‍परा का प्रौद्योगिकी से मिलन होता है।
ठाकुर ने कहा कि प्रत्‍यक्ष लाभ अन्‍तरण (डीबीटी) और आधार से जुड़े भुगतान (एएलपी) लागू करते हुए सरकार ने वेतन के भुगतान में होने वाली देरी में कमी कर दी है, भ्रष्‍टाचार पर अंकुश लगाया है और पैसे के गलत हाथों में जाने पर रोक लगाई है। उन्‍होंने कहा कि सरकार ने प्रत्‍येक परिवार में डिजिटल साक्षरता सुनिश्चित करने के लिए ग्रामीण भारत के 60 मिलि‍यन वयस्‍कों को डिजिटल तौर पर साक्षर बनाने हेतु प्रधानमंत्री ग्रामीण साक्षरता अभियान (पीएमजीडीआईएसएचए) शुरू किया है, जिनमें से 10 मिलियन से ज्‍यादा लोगों को पहले ही प्रशिक्षण प्रदान किया जा चुका है।
ठाकुर ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने ‘भारत में भुगतान एवं निपटान प्रणालियां: विजन-2019-20’ जारी किया है, जिसका लक्ष्य भारत को कैश-लाइट अर्थव्‍यवस्‍था में रूपांतरित करना तथा देश में संरक्षि‍त और सुरक्षि‍त अत्‍याधुनिक भुगतान एवं निपटान प्रणालियां सुनिश्चित करना है।

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