Gita's parents have not solved the puzzle, now the DNA test runs out

इंदौर। पाकिस्तान से दो साल पहले भारत लौटी मूक-बधिर युवती गीता ने झारखंड के उस ग्रामीण दम्पति को पहचानने से आज यहां कथित तौर पर इंकार कर दिया, जो इस लड़की को अपनी खोयी बेटी बता रहे हैं। हालांकि, गीता के माता-पिता की खोज में जुटी सरकार का कहना है कि वह इस दम्पति के दावे को परखने के लिये अब डीएनए परीक्षण का सहारा लेगी। झारखण्ड के गढ़वा जिले के बांदू गांव के विजय राम और उनकी पत्नी माला देवी का दावा है कि पाकिस्तान से लौटी गीता कोई और नहीं, बल्कि उनकी गुमशुदा बेटी टुन्नी कुमारी उर्फ गुड्डी है। इस दम्पति के मुताबिक उनकी बेटी टुन्नी नौ साल पहले बिहार के रोहतास जिले में अपने ससुराल से लापता हो गयी थी।

विजय राम, माला देवी और इस दम्पति के बेटे रोशन को यहां कलेक्टर कार्यालय में गीता से मिलवाया गया। सूत्रों के मुताबिक बंद कमरे में करीब 45 मिनट चली मुलाकात के दौरान इस परिवार ने सांकेतिक भाषा विशेषज्ञों की मदद से गीता को अपने नजदीकी रिश्तेदारों के बारे में बताया। इसके साथ ही, बांदू गांव के परिवेश और उनकी खोयी बेटी के बचपन से जुड़ी बातें याद दिलाने की कोशिश की। इस मुलाकात के दौरान मौजूद रहे सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ ज्ञानेंद्र पुरोहित ने संवाददाताओं से कहा, “गीता ने झारखण्ड के परिवार को पहचानने से इंकार कर दिया। उसने इशारों की जुबान में कहा कि झारखण्ड के दम्पति उसके माता-पिता नहीं हैं।” गीता और झारखण्ड के परिवार की मुलाकात के नतीजे के बारे में पूछे जाने पर जिलाधिकारी निशांत वरवड़े ने नपा-तुला जवाब दिया। उन्होंने कहा, “चूंकि मैं सांकेतिक भाषा का जानकार नहीं हूं, इसलिये मैं फिलहाल इस प्रश्न का सटीक उत्तर नहीं दे सकूंगा कि गीता ने झारखण्ड के परिवार को पहचाना या नहीं। डीएनए परीक्षण का नतीजा आने के बाद ही पता चल सकेगा कि झारखण्ड के दम्पति गीता के जैविक माता-पिता हैं या नहीं।” वरवड़े ने बताया कि गीता का डीएनए नमूना दिल्ली में पहले ही सुरक्षित रखा है। झारखण्ड के दम्पति के डीएनए नमूने ले लिये गये हैं, जिन्हें जांच के लिये दिल्ली की एक प्रयोगशाला भेजा जा रहा है। डीएनए मिलान के परीक्षण की रिपोर्ट एक हफ्ते में आने की उम्मीद है।

बहरहाल, सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ ज्ञानेंद्र पुरोहित की मानें, तो गीता झारखण्ड के परिवार से मुलाकात के दौरान सहज नहीं थी और विशेषज्ञों के जरिये इस मूक-बधिर युवती की उचित काउंसलिंग की जरूरत है। पुरोहित ने कहा, “गीता ने मुझे पहचानने से भी इंकार कर दिया, जबकि यह लड़की जब पकिस्तान के कराची में ईधी फाउंडेशन की देख-रेख में रह रही थी तब हम दोनों के बीच वीडियों कॉलिंग के जरिये अक्सर बात होती थी।” उन्होंने कहा, “गीता ने मुझे पकिस्तान से वॉट्सऐप के जरिये हिंदी में उसके हाथ से लिखे पुर्जे की फोटो भी भेजी थी, लेकिन बड़ी हैरत की बात है कि आज उसने इस फोटो को भी पहचानने से इंकार कर दिया। मुझे लगता है कि उसकी याददाश्त काफी कमजोर ही गयी है।” जिलाधिकारी निशांत वरवड़े ने कहा कि उन्हें गीता के बारे में पुरोहित के इन दावों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। गीता गलती से सीमा लांघने के कारण दशक भर पहले पाकिस्तान पहुंच गयी थी और पाकिस्तानी रेंजर्स को समझौता एक्सप्रेस में लाहौर रेलवे स्टेशन पर मिली थी। इस मूक-बधिर लड़की को पाकिस्तान की सामाजिक संस्था ईधी फाउंडेशन की बिलकिस ईधी ने गोद लिया और अपने साथ कराची में रखा था। भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के विशेष प्रयासों के कारण गीता 26 अक्तूबर 2015 को स्वदेश लौटी थी। इसके अगले ही दिन उसे इंदौर में मूक-बधिरों के लिए चलायी जा रही गैर सरकारी संस्था के आवासीय परिसर भेज दिया गया था। तब से वह इसी परिसर में रह रही है।

LEAVE A REPLY