जयपुर. राजस्थान विधानसभा में इस सत्र में राइट टू हैल्थ बिल पास किया जाएगा। विधानसभा की प्रवर समिति और बिल का विरोध करने वाले संगठन स्टेट जॉइंट एक्शन कमेटी के सदस्यों की चर्चा के बाद इस बिल के फाइनल मसौदे को मंजूरी दी गई है। संभावना है कि 23 मार्च तक इस बिल को सदन में रखकर मंजूरी दे दी जाएगी। हालांकि प्राइवेट हॉस्पिटल संचालकों का एक धड़ा अब भी इस बिल के विरोध में है। इन प्राइवेट हॉस्पिटल के संचालकों ने सरकारी योजनाओं के तहत इलाज की सुविधा बंद करने की चेतावनी दी है। जॉइंट एक्शन कमेटी के चेयरमैन डॉक्टर सुनील चुघ का कहना है कि हमारी जो मांगें और सुझाव थे वह सरकार ने बिल में शामिल कर दिए है, ऐसे में अब विरोध का कोई मतलब ही नहीं बनता। उन्होंने बताया कि हमारी जो एक्शन कमेटी बनी है उसमें राजस्थान के आधे से ज्यादा हॉस्पिटल जुड़े है और लगभग सभी अब बिल में हुए संशोधन के बाद सहमत है। कुछ हॉस्पिटल संचालक इसका विरोध कर रहे है, जिसका कोई औचित्य नहीं है। राजस्थान में इस बिल के विरोध में फरवरी में प्रदेश के 1500 से ज्यादा प्राइवेट हॉस्पिटल संचालकों ने सरकारी स्कीम (आरजीएचएस, चिरंजीवी योजना) को बंद कर दिया था। आरजीएचएस के तहत ओपीडी और आईपीडी में इलाज की सुविधा नहीं दी जा रही थी। वहीं चिरंजीवी योजना से जुड़ लोग जो इस मेडिक्लेम के तहत इलाज करवाने आए थे उन्हें भी इलाज देने से मना कर दिया था। ज्वाइंटर एक्शन कमेटी के चेयरमैन डॉक्टर सुनील चुघ के मुताबिक सबसे बड़ा विरोध इमरजेंसी सर्विस को लेकर था। इमरजेंसी में आने वाले मरीज को हर हाल में इलाज देने का प्रावधान इसमें कर तो दिया, लेकिन किस तरह की इमरजेंसी इसको लेकर कोई क्लियर नहीं था। उन्होंने बताया कि कई हॉस्पिटल में कॉर्डियोलॉजी, ट्रॉमा की सुविधा नहीं है और वहां कोई हार्ट अटैक या दुर्घटना में घायल हुआ मरीज आता है तो उसे उस हॉस्पिटल में कैसे इलाज मिलेगा। इसको लेकर हमने स्थिति क्लियर करने के लिए कहा है।

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