Lodha Commitee

जयपुर। आबकारी विभाग के एक विचाराधीन प्रकरण में गवाही होने के बाद फिर से गवाह की साक्ष्य के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी हो गए। वारंट के आधार पर आबकारी पुलिस भी गवाह को गिरफ्तार करने पहुंच गई। बाद में कोर्ट में मामला पहुंचा तो सामने आया कि जिस गवाह के वारंट जारी किए गए है, उसके के तो पहले से ही गवाही हो चुकी है। गलती से वारंट से जारी होने से गवाह व उसके परिजनों को होश उड़ गए थे, वहीं गलती सामने आने पर कोर्ट कर्मचारी भी डरे सहमे हुए हैं कि कहीं उन पर वारंट का आदेश भारी नहीं पड़ जाए। मामला जमवारामगढ़ के आंधी निवासी भागीरथ मीणा से जुड़ा हुआ है। आठ साल पुराने एक आबकारी मामले वह गवाह है। इस मामले में उसकी डेढ़ माह पहले ही सीबीआई मामलों की एसीजेएम कोर्ट में गवाही हो भी चुकी है। गवाही के बाद भी उसकी गवाही के लिए फिर गिरफ्तारी वारन्ट जारी कर दिए। वारंट लेकर आबकारी पुलिस टीम भी घर पर पहुंच गई, लेकिन वह नहीं होने से गिरफ्तारी नहीं हो पाई। तारीख पर कोर्ट में आए गवाह भागीरथ एवं उसकी जमानत देने आए उसके भाई कैलाश मीणा एवं पप्पू शर्मा ने बताया कि अदालत ने 28 सितम्बर को गिरफ्तारी वारन्ट जारी किए थे। सहायक निदेशक प्रवर्तन अधिकारी को कोर्ट ने गवाह भागीरथ को गिरफ्तार कर 7 अक्टूबर को पेश करने के आदेश दिए थे। आदेश की पालना में एक दर्जन से अधिक आबकारी पुलिसकर्मी उसके घर पहुंच गए और परिजनों को डराया-धमकाया। गवाह के भाई कैलाश मीणा ने बताया कि उसके भाई ने भाग कर जान बचाई। वह बेहोश तक हो गया था। निर्धारित तारीख को वह कोर्ट में सरैण्डर हुआ। कोर्ट में उसके बयान दर्ज नहीं किए। बताया गया है कि उसके डेढ़ माह पहले ही बयान हो चुके थे। कर्मचारियों की गलती से गिरफ्तारी वारन्ट जारी हुए थे। भरी अदालत में गवाह के भाई ने कहा कि आबकारी पुलिस उसे गिरफ्तार कर लेती तो इसका कौन जिम्मेदार होता। उसने यहां तक कहा उनका परिवार अब कभी भी सरकारी गवाह नहीं बनेंगे। गलती सामने आने पर मामले में गवाह व उनके परिजनों को जहां परेशानी झेलनी पड़ी, वहीं कोर्ट कर्मचारी भी सकते में है आखिर यह गलती कैसे हो गई। फिलहाल कोर्ट ने अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया है। यह मामला सीबीआई कैसेज कोर्ट में 2013 से विचााराधीन है। आबकारी पुलिस ने 2008 में कानोता में बिहारीपुरा गांव में कार्यवाही कर 14 केन कच्ची शराब पकड़ी थी। जिसमें भागीरथ गवाह था।

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