जयपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अजमेर में विजय संकल्प रैली में पार्टी और सरकार ने पांच लाख कार्यकर्ताओं व जनता लाने का लक्ष्य क्या रखा, जयपुर समेत अन्य शहरों में बड़े स्कूलों के आफत हो गई। कार्यकर्ताओं को लाने-ले-जाने के लिए स्कूल संचालकों से उनकी बसें ले ली गई। इस वजह से छात्रों के सामने स्कूल जाने और फिर घर आने का संकट खड़ा हो गया। जब अभिभावकों को पता चला तो वे बच्चों को लेकर स्कूल दौड़े और जब स्कूल से छुट्टी हुई तो भी अभिभावक बच्चों को ले जाने के लिए स्कूलों के बाहर खड़े दिखाई दिए। इस दौरान कई अभिभावक बस नहीं आने पर स्कूल संचालकों से उलझते हुए भी दिखे। जयपुर शहर की अधिकांश बड़ी स्कूलों की बसें अजमेर सभा के लिए ले ली गई। जिससे माहेश्वरी पब्लिक स्कूल तिलक नगर, टैगोर पब्लिक स्कूल समेत कई स्कूलों के सामने छात्रों को लाने-ले-जाने का संकट हो गया।

ऐनवक्त पर स्कूल संचालकों को अभिभावकों को फोन करके और मैसेज करके बसें नहीं आने की सूचना देनी पड़ी। बहुत से बच्चे घरों के बाहर और सड़क पर बसों का इंतजार करते दिखे। काफी देर तक बसें नहीं आई तो बच्चों ने स्कूलों में बात की। बसें नहीं आने की सुन अभिभावक बच्चों को दुपहिया और चौपहिया में लेकर स्कूल पहुंचे। इस दौरान स्कूल संचालकों ने पीड़ा जाहिर करते हुए अभिभावकों से कहा कि अजमेर सभा में कार्यकर्ताओं को ले जाने के लिए पार्टी नेताओं व प्रशासन के दबाव के आगे उन्हें स्कूल बसें देनी पड़ी। गौरतलब है कि रोडवेज व लो-फ्लोर की हड़ताल के कारण प्रदेश में परिवहन व्यवस्था बिगड़ी हुई है। प्राइवेट बस संचालकों ने भी अच्छी रकम नहीं मिलने के कारण बसें भेजने से इनकार कर दिया। इस पर स्कूल संचालकों पर दबाव डालकर बसें ली गई। जयपुर में तो बसें कम पड़ जाने पर सड़क पर चल रही मिनी बसों को खाली करवाकर अजमेर ले जाया गया है।

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