mla Ganga Sahay Sharma
mla Ganga Sahay Sharma

जयपुर। कांग्रेस और भाजपा के नेता-पदाधिकारी और कार्यकर्ता टिकट की चाह में मारे-मारे फिर रहे हैं। जयपुर से लेकर दिल्ली मुख्यालय तक लॉबिंग कर रहे हैं। जयपुर की आमेर सीट में कहानी कुछ अलग ही चल रही है। कांग्रेस की टिकट पूर्व विधायक गंगा सहाय शर्मा को नहीं मिले, इसके लिए दुआएं मांगी जा रही है। लॉबिंग तक की जा रही है। इस गणित के पीछे विरोधी दल अपने हार-जीत के समीकरण देख रहा है। गंगा सहाय शर्मा को टिकट नहीं मिले तो आमेर सीट पर विरोधी दल के प्रत्याशी की राह आसान हो सकती है। वैसे भी इस सीट पर पिछली बार की तरह इस बार भी त्रिकोणीय मुकाबला रहेगा।

राजपा से मौजूदा विधायक नवीन पिलानिया चुनावी मैदान में है। भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशी अभी घोषित नहीं हुए है। माना जा रहा है भाजपा से पिछली बार मामूली अंतरों से हारे सतीश पूनिया तो कांग्रेस से पूर्व विधायक गंगा सहाय शर्मा प्रबल दावेदार है। हालांकि दोनों ही दलों में आधा दर्जन और भी मजबूत प्रत्याशी है। वे भी पुरजोर तरीके से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। लेकिन आमेर सीट से विरोधी दल के जीत समीकरण के लिए हो रही दुआओं और लॉबिंग की खूब चर्चा है। तर्क दिए जा रहे हैं कि गंगा सहाय शर्मा का टिकट कटने पर बागड़ा ब्राह्मण समाज के एकमुश्त वोट बैंक (करीब पच्चीस हजार) विरोधी दल की झोली में आ सकता है। हालांकि नवीन पिलानिया को भी गंगा सहाय का टिकट कटने पर नाराज समाज समर्थन दे सकता है। जैसे किरोडी लाल मीणा की वजह से नवीन को एकमुश्त मीणा वोट मिले और वे चुनाव जीत गए। ऐसे ही समीकरण फिर बन सकते हैं। हालांकि बागड़ा समाज बीजेपी का वोट बैंक माना जाता है। लेकिन गंगा सहाय शर्मा का टिकट कटने पर यह तो तय है कि कांग्रेस को बागड़ा समाज वोट नहीं देगा।

२००८ में जब गंगा सहाय शर्मा को कांग्रेस से टिकट मिला था तब बीजेपी का साथ छोड़कर बागड़ा और दूसरी ब्राहमण जातियां, मीणा, गुर्जर, यादव, माली आदि समाज ने समर्थन दिया और वे भारी मतों से चुनाव जीते। हालांकि २०१३ में डॉ. किरोडी लाल मीणा की राजपा पार्टी के प्रत्याशी और मौजूदा विधायक नवीन पिलानिया (वर्तमान में राजपा प्रदेशाध्यक्ष) के पाले में गए मीणा वोट के कारण गंगा सहाय शर्मा चुनाव हार गए। डॉ.किरोडी लाल मीणा के फिर से भाजपा में जाने से यह वोट बैंक फिर से कांग्रेस में आ सकता है। पीसीसी चीफ सचिन पायलट और पूर्व सीएम अशोक गहलोत के कारण गुर्जर, माली समाज कांग्रेस के साथ है। एससी वोट बैंक हमेशा से ही कांग्रेस का रहा है और इस बार भी ज्यादा सक्रियता से कांग्रेस के साथ रहेगा। दो अप्रेल को भारत बंद की घटनाओं और एसटी-एससी एक्ट के चलते यह वर्ग भाजपा से नाराज बताया जा रहा है।
आमेर क्षेत्र में गंगा सहाय शर्मा की स्वच्छ छवि और सादगी के सभी कायल है। विधायक रहते हुए तबादलों में पैसे लेने, गरीब और लाचार किसानों व एससी वर्ग की जमीनों पर कब्जे करने, सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण करके कॉलोनियां काटने जैसे आरोप कभी नहीं लगे और ना ही जाति विशेष को प्रोत्साहन के आरोप लगे। जबकि दूसरे नेताओं पर ये आरोप आम बात रही है। इस वजह से विरोधी दल के नेता गंगा सहाय शर्मा से डरे सहमे हुए है। ऐसे में भाजपा दावेदार के समर्थक और शुभचिंतक की दुआएं गंगा सहाय शर्मा के साथ नहीं है, बल्कि वे प्रार्थना कर रहे हैं कि उन्हें टिकट नहीं मिले। अगर ऐसा हुआ उनके नेता विधायक बन सकते हैं। चर्चा में चल रहा यह मामला पिछले दिनों पीसीसी में खूब चर्चा में रहा। आमेर के एक जाति विशेष के युवा नेताओं की एक टोली पीसीसी चीफ सचिन पायलट से मिली और उन्हें आमेर सीट से पूर्व विधायक सहदेव शर्मा के पुत्र प्रशांत शर्मा को टिकट देने की गुहार की। जीत के समीकरण बताते हुए यहां तक आश्वासन दिया कि प्रशांत को टिकट दिया तो उनकी जाति एकमुश्त वोट देगी। इस वाकये की चर्चा आमेर क्षेत्र की सियासत में तो है ही, साथ ही भाजपा और कांग्रेस में भी खूब चटखारे के साथ परोसी जा रही है कि जीत का गणित बैठाने के लिए राजनीति किस स्तर पर पहुंच गई है। खैर जंग और मोहब्बत में सब जायज है तो राजनीति इससे अछूती कैसे रहे। अब देखना है कि आमेर सीट पर भगवान किसकी सुनता है। दिवाली के बाद आमेर समेत प्रदेश की तस्वीर साफ हो जाएगी। साथ ही प्रत्याशियों की घोषणा के साथ ही हार-जीत के समीकरण भी दिखने लगेंगे।

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