नई दिल्ली। ब्रेक्जिट के फैसले के बाद मध्यावधि चुनाव कराने का दांव ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे के लिए उल्टा ही पड़ता नजर आ रहा है। ब्रिटेन की 650 सदस्यीय संसद के लिए हुए मध्यावधि चुनाव में पीएम थेरेसा मे की कंजरवेटिव बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी, लेकिन बहुमत के आंकड़े 326 से काफी दूर ही रह गई हैं। कंजरवेटिव पार्टी को 313 सीटे ही मिली। जबकि लेबर पार्टी 260, लिबरल डेमोक्रेटिक 12 व एसएनपी को 35 सीटें हासिल हुई हैं।
ब्रिटेन के त्रिशंकु नतीजों ने इस बात की ओर संकेत दे दिए हैं कि थेरेसा लोगों के बीच अपनी पकड़ बनाने में कामयाब नहीं हो पाई है। यद्दपि थेरेसा खुद दक्षिण-पूर्व इंग्लैंड की अपनी सीट पर 37,780 मतों से चुनाव जीत गई हैं। इन चुनावों में ब्रिटेन को पहली सिख महिला सांसद प्रीत मिली तो पहली बार पगड़ीधारी सांसद तनमनजीत संसद में नजर आएंगे। इन चुनाव में भारतीय मूल के करीब 15 उम्मीदवार विजयी होने में सफल रहे। प्रीत ने बर्मिंघम एजबेस्टन सीट से 24,124 मतों से जीत हासिल की है। जबकि तनमनजीत ने स्लोघ सीट से 34, 170 मतों से जीत हासिल की।
-पेश नहीं कर पाई भविष्य की तस्वीर
ब्रिटेन के ब्रेजिक्ट के जरिए ईयू से अलग होने के बाद ये चुनाव महत्वपूर्ण थे। ब्रेजिक्ट के बाद नई सरकार को देश के सामने नई दिशा व दशा रखनी थी। लेकिन थेरेसा मे इसमें असफल ही रही। थेरेसा देशवासियों को न तो भावी रोड मैप ही दिखा सकी न ही भविष्य की कोई तस्वीर पेश कर सकी। वहीं ब्रिटेन में हुई आतंकी वारदातों के बाद लोगों में भय व्याप्त रहा। जो उनकी असफलता का एक अहम कारण बनकर उभरी।
-इस्तीफे का दबाव तो विपक्ष हुआ हावी
थेरेसा मे की कजरवेटिव पार्टी के बहुमत के आंकड़े से दूर होने के बाद अब उन पर इस्तीफे का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। यद्दपि थेरेसा इस्तीफे से इंकार कर रही है। गत वर्ष हुए चुनाव में कंजरवेटिव पार्टी को 331 सीटे मिली थी, जिससे बहुमत उनके पास था। अबके चुनाव में बहुमत नहीं मिलने से विपक्ष भी उन पर हावी होता नजर आ रहा है। विपक्षी लेबर नेता जेरेमी कॉर्बिन ने थेरेसा को आड़े हाथों लिया और कहा कि उन्हें नतीजों पर गर्व है। मतदान उनकी सोच के अनुरुप हुआ। उन्होंने समय पूर्व चुनाव की घोषणा करते हुए सोचा था कि जनादेश उन्हें मिल जाएगा। अब जनादेश उनके खिलाफ आया है तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।

























