जयपुर। राजस्थान में कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और मुख्यमंत्री के पुत्र वैभव गहलोत पर ईडी की कार्रवाई के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा राजनीतिक भेदभाव के चलते कार्रवाई करने के आरोप पर केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि ईडी ने विगत 9 साल में जितनी कार्रवाई की, उसमें से मात्र तीन प्रतिशत राजनीतिक लोगों पर कार्रवाई हुई है। इसलिए ईडी पर आरोप लगाना, उसकी साख को गिराने का षड्यंत्र है। उन्होंने यह भी कहा कि ईडी की गुरुवार को की गई कार्रवाई पेपर लीक प्रकरण में राजनीतिक भ्रष्टाचार को रोकने के प्रयासों का परिणाम है। केंद्रीय भाजपा कार्यालय में पत्रकार वार्ता में शेखावत ने कहा कि राजस्थान में गहलोत सरकार ने भ्रष्टाचार के सारे पैमानों को तोड़ दिया है। पेपर लीक इसमें प्रमुख है। इसमें राजनीतिक भ्रष्टाचार हुआ है और ईडी ने इसे रोकने का कोशिश की है। उन्होंने कहा कि यदि ईडी ने केन्द्र सरकार के दबाव में गलत काम किया होता तो आरोपियों को अदालत ने राहत प्रदान कर दी गई होती, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा। ईडी ने पिछले नौ साल में जितने मामलों में जांच की, उसमें 93 प्रतिशत से भी ज्यादा मामलों में सजा हुई है। दुनिया की किसी भी एजेंसी की कनविक्शन दर यह नहीं रही। इसी प्रकार पिछले नौ साल में पांच हजार नौ सौ छह केसों में ईडी ने कार्रवाई की, उसमें से केवल तीन प्रतिशत केस ही राजनीतिक लोगों के खिलाफ है। इसलिए राजनीतिक भदेभाव का आरोप निराधार है। शेखावत ने कहा कि राजस्थान में 19 बार पेपर लीक हुए। 70 लाख युवाओं को भविष्य अंधकार में हुआ। भर्ती की व्यवस्था पर युवाओं का विश्वास समाप्त हो गया। पहले सरकार और उसके लोग लीलापोती करते नजर आए। गहलोत साहब कहते थे कि इसमें कोई अधिकारी और कर्मचारी शामिल नहीं है। 18 बार पेपर लीक होने तक के बाद जब आवाज उठी तो आरपीएससी के मेंबर को जेल जाना पड़ा। मंत्री स्तर के व्यक्ति को जेल जाना पड़ा। उसके बाद ईडी ने जांच हाथ में ली। अब ईडी के बाद सरकार बैकफुट पर है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि यदि गोविंद सिंह डोटासरा के तार पेपर लीक से जुड़े हुए मिलते हैं तो इस कार्रवाई से पेपर लीक पीड़ितों को न्याय मिलेगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत पहले कहते हैं कि आर्थिक अनियमिता की जांच होनी चाहिए। फिर जब एजेंसी कार्रवाई करती है तो वे तिलमिला जाते हैं। उनके पुत्र की अनियमिता पर कार्रवाई होती है तो वे तिलमिला जाते हैं। शेखावत ने कहा कि ईडी ने मुख्यमंत्री के बेटे के खिलाफ कार्रवाई की है। यह स्पष्ट है कि उनके तार मॉरिशस से हवाला के जरिए धन का जाना और री-रूट होकर आने के मामलों से इससे जुड़े हुए हैं। देश में कालेधन को जायज बनाने का जो प्रयास होता था, उसे रोकने पर ईडी ने सफलता पूर्वक लगाम लगाई है। यह कहना गलत है कि ईडी केवल विपक्षियों को टारगेट करती है। केन्द्रीय मंत्री शेखावत ने पूछा कि ईडी भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करती है तो कांग्रेस नेताओं के पेट में दर्द क्यों होता है? पिछले दिनों कांग्रेस नेता सचिन पायलट जब सरकार से रुष्ठ थे, तब उनकी प्रमुख मांगों में से एक मांग यह पेपर लीक की जांच भी थी। उन्होंने इसे लेकर तब वक्तव्य भी दिया था। पदयात्रा भी निकाली थी। अब जब ईडी पूछताछ के लिए बुला रही है तो यह गैर कानूनी कैसे हुआ? संजीवनी प्रकरण पर उनका बार-बार नाम लेने पर शेखावत ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत का उद्देश्य सहकारी संस्थाओं द्वारा ठगे गए निवेशकों का पैसा लौटाना नहीं है। यदि ऐसा होता तो राजस्थान में चौदह ऐसी सोसायटी और हैं। एक संजीवनी को छोड़कर अन्य 13 का नाम मुख्यमंत्री जी क्यों नहीं लेते? उन्होंने कहा कि संजीवनी प्रकरण में भी गहलोत सरकार की एसओजी ने साढ़े चार साल तक जांच पूरी क्यों नहीं की? अब जाकर मुझे नोटिस दिया गया है। नोटिस में जो दस्तावेज मांगे गए हैं, वे मैं स्वयं पहले ही एसओजी को दे चुका और मंत्री होने के नाते मेरी आय के दस्तावेज पहले से ही पब्लिक डोमेन में हैं। शेखावत ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पहले अपने गिरेबां में झांककर देखना चाहिए, फिर मुझ पर सवाल खड़े करने चाहिए।

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