Rape murder case

नई दिल्ली। केन्द्रीय सेवाओं में कार्यरत महिला कर्मचारियों को कार्यस्थलों पर भय मुक्त वातावरण उपलब्ध कराने के उद्देश्य से केन्द्र सरकार एक नया नियम लागू करने जा रही है। इस नियम के तहत अब यौन शोषण के मामले में पीडि़त महिला कर्मचारी को 90 दिन का वैतनिक अवकाश (पेड लीव) दिया जाएगा। यह छुट्टियां उसे मिलने वाली अन्य छुट्टियों से अलग होगी और उसे समायोजित भी नहीं किया जाएगा। इस मामले में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने सेवा नियमावली में बदलाव कर दिया है। डीओपीटी से जो जानकारी सामने आई है। उसके अनुसार यह विशेष अवकाश तभी तक जारी रहेगा जब तक मामले की जांच की जा रही है। डीओपीटी के अनुसार कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीडऩ के तहत जांच लंबित रहने तक पीडि़त सरकारी महिला कर्मचारी को 90 दिन का विशेष अवकाश दिया जाएगा। इस फैसले के पीछे जो मंशा उभरकर सामने आई वह यह रही कि विभाग को शिकायतें मिल रही थी कि यौन उत्पीडऩ का आरोपी अनेक मामलों में पीडि़ता को धमकाने के साथ जांच प्रभावित करने का प्रयास करता है। यह विशेष अवकाश तभी स्वीकृत होगा, जब इस तरह के मामलों की जांच करने वाली कमेटी इसकी सिफारिश करेगी। आरोपों की जांच के लिए एक स्थानीय कमेटी का गठन भी होगा। डीओपीटी ने दिसंबर 2016 में यौन शोषण का शिकार हुई महिलाओं के मामले में यह दिशा-निर्देश जारी किए थे। जिसमें 30 दिन के भीतर मामले की जांच पूरी करने की बात कही गई थी। इसमें यह भी कहा गया कि किसी भी दशा में शिकायत सामने आने के 90 दिन के भीतर जांच पूरी कर ली जानी चाहिए। इसकी मासिक रिपोर्ट सभी मंत्रियों और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को सौंपनी होगी। ताकि प्रकरण की कार्रवाई पर विस्तार पूर्वक नजर रखी जा सके।

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