Corruption matters relating judges
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय बार संघ :एससीबीए: अध्यक्ष आर एस सूरी, उपाध्यक्ष अजीत सिन्हा, सचिव गौरव भाटिया समेत इसके सदस्यों और अशोक भान, अमन सिन्हा समेत कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने याचिका में लगाए गए आरोपों का जोरदार प्रतिवाद किया और कहा कि न्यायाधीशों को धमकाने के किसी भी प्रयास के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिये। एससीबीए सदस्यों ने पीठ से मामले में अवमानना की कार्यवाही शुरू करने का अनुरोध करते हुए कहा, आतंकित करके आदेश पाने को इस अदालत को बर्दाश्त नहीं करना चाहिये। इस तरह के किसी भी प्रयास के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किये जाने की आवश्यकता है। खचाखच भरे अदालत कक्ष में आरोपों की झड़ी लग रही थी। भूषण ने अपनी आवाज तेज करते हुए सीजेआई से मामले की सुनवाई से खुद को अलग करने को कहा क्योंकि सीबीआई की प्राथमिकी में कथित तौर पर उनका भी नाम है।
सीजेआई ने बदले में भूषण से प्राथमिकी की सामग्री को पढ़ने को कहा और उन्हें अपना आपा खोने के खिलाफ चेतावनी दी। भूषण के साथ याचिकाकतार्ओं में से एक अधिवक्ता कामिनी जायसवाल भी थीं। सीजेआई ने कहा, मेरे खिलाफ निराधार आरोप लगाने के बावजूद हम आपको रियायत दे रहे हैं और आप उससे इंकार नहीं कर सकते। आप आपा खो सकते हैं लेकिन हम नहीं। भूषण ने कथित तौर पर न्यायाधीशों से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले की जांच के लिये एसआईटी के गठन की मांग करते हुए कहा कि सीजेआई का नाम इसमें है। भूषण एनजीओ कैंपेन फॉर जूडिशियल एकाउन्टैबिलिटी और जायसवाल का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। सीजेआई ने कहा, मेरे खिलाफ कौन सी प्राथमिकी। यह बकवास है। प्राथमिकी में मुझे नामजद करने वाला एक भी शब्द नहीं है। हमारे आदेश को पहले पढ़ें। मुझे दुख होता है। आप अब अवमानना के लिये जिम्मेदार हैं। भूषण ने पीठ को उन्हें अवमानना का नोटिस जारी करने की चुनौती दी और कहा कि उन्हें बोलने की अनुमति दिये बिना इस तरीके से सुनवाई नहीं चल सकती। भूषण को न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा ने भी फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि निचली अदालतों के वर्तमान न्यायिक अधिकारी, उच्चतर न्यायपालिका के न्यायाधीशों, उपराष्ट्रपति या राष्ट्रपति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकती है क्योंकि उन्हें छूट प्राप्त है। उन्होंने कहा कि उनके समक्ष दायर याचिका की सामग्री अवमाननाकारी है। भूषण सुनवाई के दौरान न्यायालय से यह आरोप लगाते हुए बाहर निकल गए कि अदालत ने सबको सुना लेकिन उन्हें बोलने की अनुमति नहीं दी जा रही है। अदालत कक्ष से निकलने के दौरान उनके साथ वस्तुत: धक्का-मुक्की हुई।
सीजेआई ने कहा कि उन्होंने पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ का गठन कर दिया है क्योंकि इससे पहले दिन में इसी रिश्वतखोरी के आरोपों पर एक अलग याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति ए के सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की दो सदस्यीय पीठ ने कहा था कि उचित आदेश के लिये मामले को सीजेआई के समक्ष रखा जाना चाहिये। सुनवाई के अंत में बार संघ के एक सदस्य ने मीडिया को मामले की रिपोर्टिंग करने से रोकने का आदेश देने का अनुरोध किया। उन्होंने दावा किया कि यह संस्थान की छवि को धूमिल करेगा, जो न्याय का मंदिर है। सीजेआई ने मौखिक दलील को स्वीकार करने से मना करते हुए कहा, मेरा वाक्य, अभिव्यक्ति और प्रेस की स्वतंत्रता में भरोसा है। सीजेआई मिश्रा ने कहा, पहली नजर में मेरी हमेशा राय रही है कि वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान किया जाना चाहिये। मैं प्रेस को रोकने के लिये कोई भी आदेश नहीं देने जा रहा हूं। संविधान पीठने यह भी स्पष्ट कर दिया कि न्यायाधीशों के नाम पर कथित तौर पर रिश्वत लिये जाने से संबंधित याचिकाओं पर दो सप्ताह बाद उचित पीठ सुनवाई करेगी। सीबीआई ने अपनी प्राथमिकी में कथित भ्रष्टाचार के मामले में ओडिशा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश इशरत मसरूर कुद्दुसी समेत कई लोगों को आरोपी के तौर पर नामजद किया है।

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