CM Chouhan, Chief Engineer,, Department of Water Supply, chargesheet
Chief Engineer CM Chouhan will soon get the charge sheet....

– सरकारी नौकरी में रहते हुए मिथ्या दस्तावेज देकर अनुकम्पा नियुक्ति हथियाई, सरकार ने दोषी मानते हुए सेवा से हटाने की अनुशंषा की।
– जलदाय विभाग ने दी चार्जशीट, बर्खास्तगी तय। सेवाकाल के वेतन-भत्तों की रिकवरी होगी, आपराधिक मुकदमा भी चलेगा।
– राकेश कुमार शर्मा
जयपुर। सरकारी सेवा में रहते हुए नियम विरुद्ध तरीके से अनुकंपा नियुक्ति हासिल करने वाले जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग जयपुर में चीफ  इंजीनियर चन्द्र मोहन चौहान (सी.एम.चौहान) की नौकरी पर तलवार लटक गई है। कार्मिक विभाग की जांच रिपोर्ट के बाद राज्य सरकार ने सीएम चौहान की बर्खास्तगी तय है। हालांकि इससे पहले चार्जशीट देकर चौहान से पक्ष सुना जाएगा। जलदाय विभाग ने सीएम चौहान को चार्जशीट थमा दी है। एक पखवाड़े का समय जवाब देने को दिया है। कार्मिक विभाग ने 10 सितम्बर, 2021 को चार्जशीट के आदेश जारी कर दिए थे। चार्जशीट पर लगाए गए आरोपों का जवाब मिलने के बाद सरकार कभी भी चौहान की सेवाएं समाप्त कर सकती है। सेवा समाप्ति के बाद चौहान के विरुद्ध गैर कानूनी तरीके से नौकरी लेने के मामले में आपराधिक मुकदमा भी दर्ज हो सकता है, साथ ही सेवाकाल के वेतन भत्तों की रिकवरी भी होगी और चौहान को पेंशन, पीएफ-ग्रेच्यूटी के फायदे नहीं मिलेंगे।
कार्मिक विभाग ने कांग्रेस अभाव अभियोग प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक पंकज शर्मा काकू की शिकायत व दस्तावेज की जांंच के बाद सीएम चौहान की सेवा समाप्ति की अनुशंषा राज्य सरकार को की, जिस पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मुख्य सचिव निरंजन आर्य की स्वीकृति के बाद फाइल कार्मिक विभाग से होते हुए जलदाय विभाग आ गई है। जलदाय विभाग में संयुक्त सचिव प्रथम पुष्पा सत्यानी की ओर से सीएम चौहान को चार्जशीट दी है। चार्जशीट मिलते ही चौहान का निलंबन हो सकता है। वहीं चार्जशीट में लगाए गए आरोपों व आक्षेपों पर सीएम चौहान से जवाब मांगा जाएगा। तय आरोपों व आक्षेपों पर संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर विभाग द्वारा सीएम चौहान की बर्खास्तगी की कार्यवाही प्रारंभ करेगी। संभवतया: महीने भर में सीएम चौहान की सेवाएं समाप्त हो सकती है।
गौरतलब है कि जलदाय विभाग जयपुर के मुख्य अभियंता चन्द्रमोहन चौहान  के सरकारी सेवा में होते हुए भी पिता के निधन पर दूसरे विभाग में अनुकम्पा नियुक्ति हासिल की। अनुकम्पा नियुक्ति लेने के लिए सी.एम.चौहान ने सरकारी सेवा में होने के तथ्य को छिपाया, साथ ही खुद को बेरोजगार होने का झूठा शपथ पत्र व कूटरचित दस्तावेज देकर सरकार से अनुकम्पा नियुक्ति ले ली। तीस साल पहले फर्जी दस्तावेज व तथ्यों के आधार पर नियम विरुद्ध तरीके से हासिल की गई अनुकम्पा नियुक्ति की सच्चाई अब सामने आ चुकी है, वो भी रिटायरमेंट के एक साल पहले। चौहान के बखाज़्स्तगी की तलवार लटकी हुई है। कामिज़्क विभाग ने भी उनके उक्त तथ्यों की जांच करके इस नियुक्ति को नियम विरुद्ध माना है और राज्य सरकार को सी.एम.चौहान को सेवा से हटाए जाने की सिफारिश की है। मुख्यमंत्री सचिवालय ने भी इस पर अपनी मुहर लगा दी है। प्रदेश में संभवतया: यह पहला मौका है, जब मुख्य अभियंता पद से किसी अधिकारी को बर्खास्त किया जाएगा।
-चौहान पीडब्ल्यूडी में थे कनिष्ठ अभियंता थे, खुद को बताया बेकार
सी.एम.चौहान के पिता बसन्त कुमार चौहान वन विभाग में उपवन संरक्षक पद पर कार्यरत थे। उनके निधन होने पर सी.एम.चौहान ने अनुकम्पा नियुक्ति लेने के लिए वन विभाग में आवेदन किया, लेकिन वन विभाग में सहायक अभियंता सिविल का पद रिक्त नहीं होने पर सीएम चौहान विभाग से दूसरे विभाग में नियुक्ति की एनओसी प्राप्त की और राज्य सरकार को दूसरे विभाग में नियुक्ति के लिए आवेदन किया। चौहान ने वन विभाग से यह एनओसी 28 अप्रेल, 1991 में प्राप्त की। जब यह एनओसी ली, तब सीएम चौहान सार्वजनिक निर्माण विभाग कोटा में कनिष्ठ अभियंता पद पर कार्यरत थे। उक्त तथ्य को छिपाते हुए चौहान ने खुद को बेरोजगार बताया। साथ ही पूर्व व वर्तमान में किसी भी तरह की सरकारी सेवा में होने का शपथ पत्र भी दिया। उक्त शपथ पत्र के आधार पर चौहान को जलदाय विभाग में सहायक अभियंता के पद पर अनुकम्पा नियुक्ति मिल गई। इस तरह चौहान ने वन विभाग और जलदाय विभाग को सार्वजनिक निर्माण विभाग में कनिष्ठ अभियंता पद पर होने के तथ्य को छिपाया और गैर कानूनी तरीके से यह नियुक्ति प्राप्त कर ली।
– जांच में अनुकम्पा नियुक्ति नियम विरुद्ध मानी
सी.एम.चौहान के नियम विरुद्ध तरीके से अनुकम्पा नियुक्ति हासिल करने को लेकर कांग्रेस अभाव अभियोग प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक पंकज शर्मा काकू ने जलदाय मंत्री बी.डी.कल्ला, विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधांशु पंत को शिकायत दी और इस संबंध में दस्तावेज पेश किए। जलदाय विभाग ने अनुकम्पा नियुक्ति दस्तावेज की जांच कार्मिक विभाग को भिजवाई। कार्मिक विभाग के संयुक्त शासन सचिव जय सिंह ने जांच की। जांच में पाया गया कि सीएम चौहान ने ऊंचे पद पर नियुक्ति के लिए सरकारी सेवा में रहने के तथ्यों को छिपाया और स्वयं को बेरोजगार होने का शपथ पत्र देकर अनुकम्पा नियुक्ति हासिल कर ली। ऐसे में वे मृतक के आश्रित श्रेणी में नहीं आते हैं। चौहान ने तथ्य छिपाकर नियुक्ति प्राप्त की है। कोई लोक सेवक तथ्य छुपाकर नियुक्ति प्राप्त कर लेता है और वह स्थायी हो जाता है तो उसके विरुद्ध सी.सी.ए.नियमों के तहत कार्यवाही करके उसे सेवा से हटाए जाने के प्रावधान है। सेवा से हटाने से कम कोई दण्ड नहीं दिया जा सकता है। कार्मिक विभाग के उक्त जांच रिपोर्ट को मुख्यमंत्री कार्यालय से मंजूरी मिल गई है।

– यह है अनुकम्पा नियुक्ति के नियम
अनुकम्पात्मक नियुक्ति नियम 1996 के नियम-5 के अनुसार मृत राजकीय कर्मचारी के आश्रित परिवार के उसी सदस्य को अनुकम्पा नियुक्ति मिल सकती है, जो बेरोजगार हो। केन्द्र व राज्य सरकार के किसी सरकारी विभाग में कार्यरत नहीं हो। चौहान ने उक्त तथ्यों को जानते हुए भी शपथ पत्र में लिख दिया कि वे बेरोजगार है, जबकि अनुकम्पा नियुक्ति के वक्त पीडब्ल्यूडी विभाग में चार साल से कार्यरत थे। मिथ्या दस्तावेज और तथ्यों के आधार पर चौहान ने अनुकम्पा नियुक्ति हासिल की, जो एक तरह से आपराधिक व भ्रष्टपूर्ण कृत्य है।
– करोड़ों के भ्रष्टाचार मामलों में भी नामजद
मुख्य अभियंता सीएम चौहान पर भ्रष्टाचार के मामलों की भी जांच चल रही है। चौहान पर जलदाय विभाग में करोड़ों रुपये के एलईडी बल्ब खरीद के मामले में भ्रष्टाचार के आरोप है, जिनकी जांच एसीबी कर रही है। उक्त मामले में बाजार में अस्सी रुपये में मिलने वाले एलईडी बल्ब को एक हजार रुपये में खरीदा गया, जिससे फर्म को अनुचित फायदा पहुंचाया और सरकारी कोष को नुकसान। विभाग ने करीब दस करोड़ रुपये के बल्ब खरीदे थे, जो बाजार दर से कई गुणा दरों पर खरीदे गए। विभाग द्वारा समर्सिबल पम्प सेट खरीद में भी वितीय अनियमितताओं में भी सीएम चौहान के विरुद्ध एसीबी में जांच चल रही है। गांधी नगर थाना जयपुर में भी एक अन्य घोटाला में भी मामला दर्ज है।
– चौहान के बचाव में उतरे…..
नियम विरुद्ध तरीके से अनुकंपा नियुक्ति हासिल करके मुख्य अभियंता पद पर पहुंचे और वित्तीय घोटालों में लिप्त रहे सीएम चौहान की कारगुजारियां मीडिया में नहीं आए, इसके लिए जलदाय विभाग बीट देखने वाले नामी समाचार पत्रों और चैनलों के पत्रकार भी चौहान के बचाव में लगे हुए हैं। कार्मिक विभाग की जांच रिपोर्ट में दोषी पाए जाने, मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव द्वारा कार्यवाही संबंधी स्वीकृति और जलदाय विभाग के चार्जशीट देने के आदेश को मीडियाकर्मियों ने प्रकाशित होने नहीं दिया। चर्चा है कि समाचार प्रकाशित नहीं हो, इसके लिए मोटी रकम की बंदरबांट हुई। विभाग में एक ऑडियो भी खूब चर्चा में है, जिसमें समाचार प्रकाशित नहीं करने को लेकर लेन-देन की डील संबंधी बातें हैं।

– लेखक जनप्रहरी एक्सप्रेस के एडिटर इन चीफ है। राजस्थान पत्रिका जयपुर के चीफ रिपोर्टर रहे हैं। जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (जार) के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। mobile. 9929103959

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