A pampered employee employee of the Jalpaipan department raised the fake travel bill-allowances and lent millions of rupees to the state government. In lieu of departmental engineers, fake bills of travel for 20 years have been raised in the subdivision office by the employee.
PHED SCAM, fraud hs enterprises
– राकेश कुमार शर्मा
जयपुर। जलदाय विभाग जयपुर के मुख्य अभियंता चन्द्रमोहन चौहान के सरकारी सेवा में होते हुए भी पिता के निधन पर दूसरे विभाग में अनुकम्पा नियुक्ति हासिल की। अनुकम्पा नियुक्ति लेने के लिए सी-एम-चौहान ने सरकारी सेवा में होने के तथ्य को छिपाया. साथ ही खुद को बेरोजगार होने का झूठा शपथ पत्र व कूटरचित दस्तावेज देकर सरकार से अनुकम्पा नियुक्ति ले ली। तीस साल पहले फर्जी दस्तावेज व तथ्यों के आधार पर नियम विरुद्ध तरीके से हासिल की गई अनुकम्पा नियुक्ति की सच्चाई अब सामने आ चुकी है, वो भी रिटायरमेंट के एक साल पहले। चौहान के बर्खास्तगी की तलवार लटकी हुई है। कार्मिक विभाग ने भी उनके उक्त तथ्यों की जांच करके इस नियुक्ति को नियम विरुद्ध माना है और राज्य सरकार को सी-एम-चौहान को सेवा से हटाए जाने की सिफारिश की है। मुख्यमंत्री सचिवालय ने भी इस पर अपनी मुहर लगा दी है। शीघ्र ही सी-एम-चौहान को चार्जशीट देकर सेवा से बर्खास्त कर दिया जाएगा। प्रदेश में संभवतया यह पहला मौका है] जब मुख्य अभियंता पद से किसी अधिकारी को बर्खास्त किया जाएगा। कांग्रेस अभाव अभियोग प्रकोष्ठ के संयोजक पंकज शर्मा काकू की ओर से दी गई शिकायत व दस्तावेज के आधार पर चौहान के खिलाफ कार्यवाही हुई है।
– अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया उस समय पीडब्ल्यूडी में कनिष्ठ अभियंता थे सीएम चौहान
सी-एम-चौहान के पिता बसन्त कुमार चौहान वन विभाग में उपवन संरक्षक पद पर कार्यरत थे। उनके निधन होने पर सी-एम-चौहान ने अनुकम्पा नियुक्ति लेने के लिए वन विभाग में आवेदन किया] लेकिन वन विभाग में सहायक अभियंता सिविल का पद रिक्त नहीं होने पर सीएम चौहान विभाग से दूसरे विभाग में नियुक्ति की एनओसी प्राप्त की और राज्य सरकार को दूसरे विभाग में नियुक्ति के लिए आवेदन किया। चौहान ने वन विभाग से यह एनओसी 28 ebZ 1991 में प्राप्त की। जब यह एनओसी ली] तब सीएम चौहान सार्वजनिक निर्माण विभाग कोटा में कनिष्ठ अभियंता पद पर कार्यरत थे। उक्त तथ्य को छिपाते हुए चौहान ने खुद को बेरोजगार बताया और पूर्व व वर्तमान में किसी भी तरह की सरकारी सेवा में होने का शपथ पत्र भी दिया। उक्त शपथ पत्र के आधार पर चौहान को जलदाय विभाग में सहायक अभियंता के पद पर अनुकम्पा नियुक्ति मिल गई। इस तरह चौहान ने वन विभाग और जलदाय विभाग को सार्वजनिक निर्माण विभाग में कनिष्ठ अभियंता पद पर होने के तथ्य को छिपाया और गैर कानूनी तरीके से यह नियुक्ति प्राप्त कर ली।
– शिकायत के बाद जांच में अनुकम्पा नियुक्ति नियम विरुद्ध मानी
सी-एम-चौहान के नियम विरुद्ध तरीके से अनुकम्पा नियुक्ति हासिल करने को लेकर कांग्रेस अभाव अभियोग प्रकोष्ठ के संयोजक पंकज शर्मा काकू ने जलदाय मंत्री बी-डी-कल्ला o विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधांशु पंत को शिकायत दी और इस संबंध में दस्तावेज पेश किए। जलदाय विभाग ने अनुकम्पा नियुक्ति दस्तावेज की जांच कार्मिक विभाग को भिजवाई। कार्मिक विभाग के संयुक्त शासन सचिव जय सिंह ने जांच की। जांच में पाया गया कि सीएम चौहान ने ऊंचे पद पर नियुक्ति के लिए सरकारी सेवा में रहने के तथ्यों को छिपाया और स्वयं को बेरोजगार होने का शपथ पत्र देकर अनुकम्पा नियुक्ति हासिल कर ली। ऐसे में वे मृतक के आश्रित श्रेणी में नहीं आते हैं। चौहान ने तथ्य छिपाकर नियुक्ति प्राप्त की है। कोई लोक सेवक तथ्य छुपाकर नियुक्ति प्राप्त कर लेता है और वह स्थायी हो जाता है तो उसके विरुद्ध सी-सी-ए-नियमों के तहत कार्यवाही करके उसे सेवा से हटाए जाने के प्रावधान है। सेवा से हटाने से कम कोई दण्ड नहीं दिया जा सकता है। कार्मिक विभाग के उक्त जांच रिपोर्ट को मुख्यमंत्री कार्यालय से मंजूरी मिल गई है। जल्द ही जलदाय विभाग द्वारा चौहान को चार्जशीट देकर सेवा से हटाया जाएगा।
– यह है अनुकम्पा नियुक्ति के नियम
अनुकम्पात्मक नियुक्ति नियम 1996 के नियम-5 के अनुसार मृत राजकीय कर्मचारी के आश्रित परिवार के उसी सदस्य को अनुकम्पा नियुक्ति मिल सकती है] जो बेरोजगार हो और केन्द्र व राज्य सरकार में कार्यरत नहीं हो। चौहान अनुकम्पा नियुक्ति के वक्त पीडब्ल्यूडी विभाग में चार साल से कार्यरत थे।
– भ्रष्टाचार के मामले भी
मुख्य अभियंता सीएम चौहान विवादों में रहे हैं और भ्रष्टाचार के मामलों की जांच चल रही है। पंकज शर्मा काकू ने बताया कि उन पर करोड़ों रुपये के  एलईडी बल्ब खरीद घोटाले की जांच एसीबी में चल रही है] जिसमें अस्सी रुपये के बल्ब को एक हजार रुपये में खरीदा गया और करीब दस करोड़ रुपये के बल्ब खरीदकर विभाग को नुकसान पहुंचाया। इसी तरह से सर्मसिबल पम्प सेट खरीद में भी वितीय अनियमितताओं की जांच एसीबी में चल रही है। गांधी नगर थाना जयपुर में भी एक अन्य घोटाला में भी मामला दर्ज है।

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