satish pooniya

जयपुर. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डा.सतीश पूनियाँ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिख कर पूछा है की वो बतायें की प्रवासियों को उनके घर तक लाने की राज्य सरकार ने क्या तैयारी की है ।
डा. पूनियाँ ने कहा की बड़ी संख्या में राजस्थानी प्रवासी देश के अनेक हिस्सों में निवास कर रहे हैं ,जो परिस्थिति वश अब राजस्थान में विभिन्न जिलों में अपने घरों को लौटना चाह रहे हैं । इस संदर्भ में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने विगत दिनों एक आदेश जारी करके एक निर्धारित प्रक्रिया के तहत ,उनको अपने-अपने गंतव्य तक जाने की अनुमति दी हैं ।

आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है की राज्य सरकार की और से एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति होगी जो एक प्रोटोकॉल के तहत इस प्रक्रिया को लागू करवाएगा साथ ही कोरोना की एडवाइजरी को भी लागू करवाएगा । उस को ध्यान में रखते हुए बसों या (अन्य साधनों)की व्यवस्था होगी और उसी के अनुरूप सोशल डिस्टेंन्सिंग का पालन करते हुए यात्रा होगी. लेकिन मुझे लगता है की राजस्थान के मुख्यमंत्री इस मामले में सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी के अलावा कुछ नहीं कर रहे हैं प्रवासियों के लौटने की कोई व्यवहारिक तैयारी नहीं की है ।और सारी बातें केंद्र पर डालकर राजनीतिक माइलेज लेना चाह रहे हैं ।
भारत सरकार ने स्थिति की गम्भीरता को देखते हुए , पुरी संवेदनशीलता के साथ राज्य सरकारों की हर माँगो को माना है । प्रवासियों को उनके घरों तक जाने की छूट भी दी है , और स्पेशल ट्रेन चलाने की बात भी की है । अब राजस्थान सरकार को चाहिए की वो भी अपने नागरिकों के प्रति संवेदनशील होकर जिम्मेदारी का परिचय दे ।
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में डा.पूनियाँ ने प्रदेश की जनता की और से मुख्यमंत्री से कुछ सवाल किए है , और आशा व्यक्त की है की वे सार्वजनिक रूप से इसका जवाब देंगे , जिससे लोगों के मन की शंका दुर होगी ।
1-इतनी बड़ी संख्या में विभिन्न कस्बों,गांवों और जिलों मे, प्रवासी आएंगे उनके साधनों एवं यात्रा की व्यवस्था क्या है ?
2-उनके चाय;पानी;भोजन और छाया और रास्ते के आवास तथा गंतव्य तक पहुंचने के उपरांत चिकित्सकीय जांच की व्यवस्था क्या है ?
3-क्या राज्य सरकार के द्वारा निश्चित नोडल ऑफीसर्स के नंबर सभी प्रवासियों के पास है जो किसी आपातकाल में उनसे संपर्क कर सकें ?
4-क्या यह नोडल अधिकारी आसानी से फोन पर उपलब्ध होंगे ? क्योंकि विगत दिनों में मुख्यमंत्री जी के बयानों में और विभिन्न जिलों के जिलाधीशों के उल्लेख किए गए पत्रों में विरोधाभास था । जिसके कारण एक भ्रम की स्थिति बनी ।

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