State coal mines

जयपुर। छत्तीसगढ़ में राजस्थान सरकार को आवंटित खानों से कोयले का खनन करने और विद्युत उत्पादन प्लांट लगाने के लिए अडानी की कंपनियों के साथ पुराने एग्रीमेंट को बहाल रखने के खिलाफ दायर याचिका को राजस्थान हाईकोर्ट में न्यायाधीश के एस झवेरी और न्यायाधीश वी के व्यास की खंडपीठ ने विचारार्थ स्वीकार कर लिया है। जनहित याचिका में एग्रीमेंट रद्द करने, विद्युत निगम को आवंटन की शर्त की पालना के निर्देश देने और दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने की प्रार्थना की गई है।

इस संबंध में रविन्द्ग सिंह ने जनहित याचिका दायर कर हाईकोर्ट को बताया कि राजस्थान को 2००7 में छत्तीसगढ़ में पारस ईस्ट और कांटा बेसिन कोल ब्लॉक्स आवंटित हुए थे। जिन्हें 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने आवंटन रद्द कर दिया था और राज्य सरकार पर 295 रुपए प्रति टन की पैनल्टी लगाई थी। 2015 में हुए पुन: आवंटन में उपरोक्त दोनों कोल ब्लॉक राजस्थान को ही आवंटित हुए और विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड से एग्रीमेंट भी हो गया। एग्रीमेंट के अनुसार विद्युत उत्पादन के प्लांट विशेष के लिए इन ब्लॉक से निकले कोयले का उपयोग होना था, लेकिन शर्त यह थी कि आवंटन सरकारी क्षेत्र की कंपनी के लिए ही होगा। लेकिन राज्य सरकार ने कोल ब्लॉक के संबंध में निजी क्षेत्र की कंपनी से समझौता कर लिया। जबकि यह आवंटन की शर्त और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है। निजी कंपनी इन कोल ब्लॉक्स के जरिए एक हजार मेगावाट का विद्युत उत्पादन संयत्र लगाने जा रही है। सरकार ने इसके लिए अडानी समुह के साथ पुराने एग्रीमेंट को ही बहाल रखा है। जबकि विद्युत उत्पादन निगम पहले भी निजी समुह के साथ कोल ब्लॉक्स को लेकर एग्रीमेंट नहीं कर सकता था। उत्पादन निगम पहले की अपनी गलती सुधारने की बजाय पुराने एग्रीमेंट को ही बहाल कर दिया। इसकी सूचना केन्द्गीय खान मंत्रालय को भी नहीं दी।

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