नई दिल्ली। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने एक रिपोर्ट जारी कर बेहद चौंकाने वाले तथ्यों का खुलासा है। सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार भारत के पास लंबे समय तक युद्ध जारी रखने लायक गोला बारुद नहीं है। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट संसद के समक्ष रखी। इस रिपोर्ट के बाद अब देश में चिंता की स्थिति सामने आई है। एक ओर चीन भारत को आंख दिखा रहा है तो जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान अपनी नजरें गढ़ाए बैठा है।

सीएजी रिपोर्ट के अनुसार इसी वर्ष जनवरी माह से सेना के गोला-बारूद मैनेजमेंट का फॉलोअप ऑडिट किया गया। मंत्रालय ने 2013 में रोडमैप स्वीकृत किया, जिसमें यह प्राथमिकताएं रखी गई कि 20 दिन के मंजूर लेवल के 50 फीसद तक ले जाया जाए और 2019 तक पूरी तरह से भरपाई कर दी जाए। रिपोर्ट में 10 दिन से कम अवधि के लिए गोला-बारुद की उपलब्धता बेहद चिंताजनक मानी गई है। 2013 में जहां 10 दिन की अवधि के लिए 170 के मुकाबले 85 गोला-बारूद सिर्फ 50 फीसद उपलब्ध थे, अब भी यह 152 के मुकाबले 61 (40 फीसद) ही उपलब्ध हैं।

-10 दिन लायक भी नहीं गोला बारुद
सीएजी रिपोर्ट के अनुसार यदि भारतीय सेना को लगातार 10 दिन तक युद्ध करना पड़ जाए तो उसके पास पर्याप्त मात्रा में गोला बारुद भी नहीं है। अधिकांश रक्षा सौदे लंबित ही पड़े हैं। सैन्य मुख्यालय ने वर्ष 2009 से 2013 के बीच खरीदारी के जिन मामलों की शुरुआत की, उनमें अधिकांशत: जनवरी 2017 तक लंबित ही मिले। रिपोर्ट ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के कामकाज को लेकर नाराजगी जताई और कहा कि वर्ष 2013 से ही ओएफबी को गोला बारुद की गुणवत्ता और मात्रा की ओर ध्यान दिलाया गया। लेकिन कोई खास प्रगति नहीं हुई। वहीं ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियां उत्पादन तो दूर क्षतिग्रस्त सामानों की मरम्मत भी नहीं कर पा रही हैं। गोला-बारुद के डिपो में अग्निशमनकर्मियों की कमी होने से उपकरणों से हादसे का खतरा रहा।

-महज कुछ सुधार हुआ
रिपोर्ट में कहा गया कि सैन्य ऑपरेशन के दौरान जरुरतों के लिहाज से सेना में वॉर वेस्टेज रिजर्व रखा जाता है। रक्षा मंत्रालय ने 40 दिन की अवधि के लिए इस रिजर्व को मंजूरी दी थी। 1999 में आर्मी ने तय किया कि कम से कम 20 दिन की अवधि के लिए रिजर्व होना ही चाहिए। सितंबर 2016 में सामने आया कि सिर्फ 20 फीसद गोला-बारुद ही 40 दिन के मानक पर खरे उतरे। 55 फीसद गोला बारूद 20 दिन के न्यूनतम स्तर से भी कम थे। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि हालांकि इसमें कुछ सुधार आया है, लेकिन फायर पॉवर को बनाए रखने के लिए बख्तरबंद वाहन और उच्च क्षमता वाले गोला-बारूद जरूरी लेवल से कम पाए गए।

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