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जयपुर। भाजपा की ओर से जयपुर जिले की सीटों पर हुए फीडबैक में हर सीट पर आधा से एक दर्जन से अधिक दावेदार सामने आए। पहली बार केबिनेट मंत्री कालीचरण सराफ, अरुण चतुर्वेदी, राजपाल सिंह शेखावत जैसे वरिष्ठ विधायकों के सामने भी खुलकर दावेदारों ने दावेदारी जताई। जयपुर जिले की आमेर सीट पर स्थानीय का मुद्दा हावी रहा। फीडबैक के दौरान कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने आमेर सीट पर स्थानीय को ही टिकट मिलने पर पार्टी की जीत होने के दावे किए। यह भी फीडबैक दिया कि स्थानीय कार्यकर्ता को ही टिकट देने की मांग को लेकर पिछले छह महीने से आमेर की हर बड़ी तहसील और गांवों में बैठकें हो चुकी है। इन बैठकों में बाहरी की खिलाफत और स्थानीय को टिकट की आवाज बुलंद की गई है।

फीडबैक ले रहे वी.सतीश और अरुण चतुर्वेदी को यह भी अवगत कराया कि स्थानीय कार्यकर्ता को दरकिनार करने के कारण बीस साल से आमेर सीट भाजपा हार रही है। पहले दो बार नवीन पिलानिया को टिकट दिया, लेकिन वे हार गए। पिलानिया मूलतया गंगानगर के है। पिछली बार सतीश पूनिया को दिया, जो चुरु से ताल्लुक रखते हैं। बाहरी होने के कारण स्थानीय कार्यकर्ता का मनोबल टूटता है, साथ ही बाहरी नेता स्थानीय नेताओं, कार्यकर्ताओं की खिलाफत करते हैं और उन्हें पार्टी गतिविधियों से दूर रखने का काम किया जाता है, जिसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ता है। दावेदारों ने जिला परिषद, पंचायत समिति के चुनावों का हवाला देते हुए शिकायत की कि किस तरह से अपने लोगों को एडजस्ट करने के लिए स्थानीय स्तर के कार्यकर्ताओं की टिकट काट दी गई। स्थानीय कार्यकर्ता को ही टिकट देने और बाहरी की खिलाफत को लेकर होटल के बाहर आमेर के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन भी किया। इस सीट पर पिछली बार सतीश पूनिया को टिकट दिया था, जो मामूली वोटों से हार गए थे। वे शेखावाटी से आते हैं और वहां भी दो बार विधानसभा चुनाव हार चुके हैं।

सतीश पूनिया फिर से आमेर से चुनावी मैदान में है, हालांकि इस बार इन्हें स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं का विरोध झेलना पड़ रहा है। वे भी टिकट की मांग कर रहे हैं। इस सीट पर युवा मोर्चा के प्रदेश पदाधिकारी महेन्द्र सिंह शेखावत, पूर्व जयपुर देहात युवा मोर्चा अध्यक्ष बलराम दून, आमेर के प्रभावशाली नेता ईश्वर यादव, अर्जुन यादव, रतन शर्मा, शिवराम बागड़ा, सावित्री शर्मा टिकट के दावेदार है। स्थानीय नेता व दावेदार लामबंद हो चुके हैं और पार्टी नेताओं को भी अवगत करा दिया है कि आमेर में स्थानीय का मुद्दा हावी है। अगर इस पर विचार नहीं किया तो पार्टी को नुकसान हो सकता है। इस सीट पर सर्वाधिक वोटर ब्राह्मण है। इसके बाद जाट, मीणा, यादव, गुर्जर, माली और एससी भी बहुतायत में है। फिलहाल राजपा के नवीन पिलानिया यहां से विधायक है, जिन्हें पिछली बार जाट और मीणा समाज ने एकमुश्त वोट दिए थे। इस बार वे फिर से चुनावी मैदान में है, लेकिन राजपा से किरोडी लाल मीणा का साथ छोड़कर वापस भाजपा में मिलने से इस बार मीणा वोट नवीन को मिल पाएंगे या नहीं, इस पर संशय है।

करीब डेढ़ दशक से नवीन पिलानिया आमेर की राजनीति में सक्रिय है। वे दो बार भाजपा की टिकट पर चुनाव हार चुके हैं। ऐसे में हर समाज और तबके में वे पकड़ रखते हैं। नवीन पिलानिया पर जातिवादी राजनीति का कभी भी ठप्पा नहीं लगा। ना ही अपराधियों को संरक्षण देने का। इस वजह से आमेर में इनकी छवि साफ-सुथरी मानी जाती है। अगर स्थानीय का मुद्दा हावी रहा तो सतीश पूनिया के टिकट पर तलवार लटक सकती है। अगर इसे नजर अंदाज किया तो कार्यकर्ताओं की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। टिकट के स्थानीय दावेदार अपनी-अपनी जाति व समाज के साथ पार्टी कार्यकर्ताओं में भी मजबूत पकड़ रखते हैं। बाहरी को टिकट मिलने पर वे बगावती मूड में आ सकते हैं।

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