जयपुर। राजस्थान विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी ने कहा कि राज्य सरकार ने शनिवार को बिजली मुद्दे पर किसानों को राहत कम और झांसे अधिक दिये हैं। उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेष में किसानों में जबर्दस्त आक्रोष को देखते हुए शनिवार को राज्य सरकार ने बेमन से किसानों को राहत देने की घोषणा की है, लेकिन इसमें राहत कम और पेचिदगियां अधिक हैं। सरकार को कृषि व घरेलू दोनों क्षेत्रों में बढ़ाई गई दरों को वापस लेना चाहिए तथा गांव-ढाणियों में पूरे समय सुचारू विद्युत आपूर्ति सुनिष्चित करनी चाहिए. क्योंकि बिजली के अभाव में किसानों की फसलें बर्बाद हो रही है।
नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी ने राज्य सरकार की नीति व नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा कि शनिवार को सरकार किसानों में नाराजगी की वजह से कुछ हद तक झुकी है लेकिन इसमें भी किसानों की अनेक प्रमुख मांगों की अनदेखी कर दी गई है। उन्होंने कहा कि किसानों की प्रमुख मांगों में दिन में कृषि फीडरों को छह घंटे 30 मिनट और रात्रि में सात घंटे विद्युत आपूर्ति करने की अहम मांग थी। सरकार इस पर सिर्फ आष्वासन दे रही है लेकिन ग्रामीण स्तर पर विद्युत तंत्र की अव्यवस्थाएं सुधारने का कोई रोडमैप सरकार ने प्रस्तुत नहीं किया है, जिसके अभाव में यह कठिन है क्योंकि ग्रासरूट पर बिजली कंपनियों का ढ़ांचा बीमारू होने के साथ ही चरमराया हुआ है। बिजली कंपनियों के दफ्तर भ्रष्टाचार का अड्डा बन गये हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि किसानों की कई मांगें तोड़-मरोड़ कर स्वीकार की गई है। जिसमें सरकार ने बूंद-बूंद श्रेणी कनेक्षनों को सामान्य श्रेणी में दो वर्ष में बदलने की बजाय इसकी मियाद तीन वर्ष कर दी है। जो किसानों के प्रति अन्याय है। इसके साथ ही कृषि उपभोक्ताओं के लिए ’ सिविल लाइबिटीज ’की अधिकतम राषि चार माह से घटाकर दो माह कर दी है। जबकि किसान ’सिविल लाइबिटीज’ हटाने की मांग कर रहे हैं। डूडी ने कहा कि इसी तरह सरकार ने वीसीआर माॅनिटरिंग समितियां गठित की है लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया है कि जिन किसानों पर जबरन वीसीआर भरने का दबाव बनाकर बिजली कंपनियों के अफसरों ने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया है और विरोध जताने वाले किसानों के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज करा दिये हैं। ऐसे भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी और किसानों के खिलाफ दर्ज झूठे मुकदमे कब वापस लिये जायेंगे। डूडी ने मांग की है कि बिजली आपूर्ति की समस्या के मद्देनजर किसानों को निजी ट्रांसफार्मर लगाने की अनुमति मिलनी चाहिए। इसके साथ ही जो कृषि कुएं लंबे समय से नहीं चल रहे हैं उनके विद्युत बिल माफ किये जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों की एक बड़ी समस्या की सरकार ने अनदेखी है, वह यह कि पूरे प्रदेष में अधिकतर किसान अपने खेतों, ढाणियों व गैर-आबादी क्षेत्र में रहते हैं। इन जगहों पर किसानों से घरेलू कनेक्षन के लिए 40 हजार रूपये वसूले जा रहे हैं जबकि उन्हें सामान्य दर पर घरेलू विद्युत कनेक्षन दिये जाने चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष डूडी ने कहा कि राज्य सरकार अजमेर विद्युत सिटी सर्किल का निजीकरण करने जा रही है। जिसके विरोध में शनिवार को अजमेर शहर बंद रहा है। यदि सरकार की नीयत साफ है तो वह अजमेर विद्युत सिटी सर्किल के निजीकरण के फैसले को वापस ले।