नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे ही सभी दलों में वे बड़े नेता अपनी जमीन तलाशने में लगे हुए हैं, जो अभी अपनी ही पार्टी में ठण्ड में है। चुनाव में जीतने पर संशय है। इसलिए वे जिताऊ दलों की तरफ भाग रहे हैं। उत्तरप्रदेश चुनाव में भाजपा ही एक ऐसी पार्टी है, जिसकी तरफ सभी दलों के नेता पीछे भाग रहे हैं। बसपा के कई बड़े नेता तो पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं, अब उत्तरप्रदेश कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष रीता बहुगुणा ने भी भाजपा का दामन थाम लिया है। रीता बहुगुणा जोशी बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की मौजदूगी में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गईं। यूपी विधानसभा की सदस्य 67वर्षीय रीता उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा की बेटी और उत्तराखंड के पूर्व सीएम विजय बहुगुणा की बहन है। बहुगुणा परिवार की रीता पहली ऐसी सदस्य नहीं है जिन्होंने कांग्रेस से बगावत की है। उनसे पहले भी उनके पिता दो बार कांग्रेस छोड़ चुके हैं और इसी साल मार्च में उनके भाई विजय बहुगुणा भी बीजेपी में शामिल हुए हैं।
रीता बहुगुणा ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में इतिहास की प्रोफेसर रह चुकी हैं। समाजवादी पार्टी की ओर से वह 1995 से 2000 तक इलाहबाद की मेयर भी रहीं। राष्ट्रीय महिला आयोग की उपाध्यक्ष रह चुकीं रीता ने उन्होंने अखिल भारतीय महिला कांग्रेस और उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कमान भी संभाली। वह 2007 से 2012 के बीच यूपी कांग्रेस अध्यक्ष रहीं और इसी दौरान बसपा प्रमुख मायावती के खिलाफ टिप्पणी करने के चलते उन्हें जेल भी जाना पड़ा। 2012 में उन्होंने लखनऊ कैंट से विधानसभा चुनाव जीता। 2014 में उन्होंने लखनऊ सीट से लोकसभा चुनाव में अपना भाग्य आजमाया लेकिन एक बार फि र उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

– हेमवती बहुगुणा ने बनाई थी कांग्रेस फ ॉर डेमोक्रेसी पार्टी

स्वतंत्रता सेनानी रहे हेमवती नंदन बहुगुणा को 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी कैबिनेट में शामिल किया। इसके दो सालों बाद ही वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। कहा जाता है कि 1975 में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से मतभेद होने के चलते उन्हें यूपी के सीएम पर से इस्तीफ ा देना पड़ा। जब 1977 में लोकसभा चुनावों की घोषणा हुई तो उन्होंने पहली बार कांग्रेस से बगावत की। बहुगुणा ने पूर्व रक्षा मंत्री जगजीवन राम के साथ मिलकर कांग्रेस फ ॉर डेमोक्रेसी पार्टी बनाई। उस चुनाव में इस दल को 28 सीटें मिली जिसका बाद में जनता दल में विलय हो गया। इसी पार्टी के बैनर तले बहुगुणा ने पहाड़ की चार लोक सभा सीटें जीती। चौधरी चरण सिंह के प्रधानमंत्री रहते बहुगुणा देश के वित्त मंत्री भी रहे। हालांकि जनता पार्टी के बिखराव के बाद बहुगुणा 1980 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में दोबारा शामिल हो गए। चुनाव के बाद केंद्र में कांग्रेस की सरकार आने के बाद कैबिनेट में नहीं लिए जाने के चलते उन्होंने छह महीने के अंदर ही कांग्रेस पार्टी के साथ ही लोकसभा की सदस्यता भी छोड़ दी। पौढ़ी-गढ़वाल में जन्मे बहुगुणा 1980 और 1982 में इसी सीट पर हुए उप चुनाव में भी जीत हासिल की थी। लेकिन 1984 के चुनाव में उनका जादू नहीं चल पाया। तब बॉलीवुड एक्टर अमिताभ बच्चन ने बहुगुणा को 1 लाख 87 हजार वोट से हराया। इस हार के बाद उन्होंने राजनीति से संयास ले लिया और पर्यावरण संरक्षण के कार्यों में लग गए।

– उत्तराखंड में बगावत के बाद भाई विजय बहुगुणा भाजपा में शामिल

कुछ महीने पहले उत्तराखंड में संवैधानिक संकट उत्पन्न होने के बाद उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा बीजेपी में शामिल हो गए। इलाहाबाद में जन्मे विजय बहुगुणा राजनीति में आने से पहले महाराष्ट्र हाईकोर्ट में जज रह चुके हैं। त्याग पत्र देने के बाद वह उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद से राजनीति में कदम रखा। अपेक्षित सफ लता नहीं मिलने के कारण वह उत्तराखंड लौट गए। उन्हें 1997 में उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का सदस्य बनाया गया। विजय बहुगुणा को साल 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायणदत्त तिवारी के कार्यकाल में उत्तराखंड योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया। 2007 में वह 14वीं लोकसभा के लिए चुने गए। इसके बाद 2009 में वह 15वीं लोकसभा के लिए टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट से चुन लिए गए। 2012 में विधानसभा चुनाव में राज्य में कांग्रेस की वापसी हुई तो उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया। हालांकि लोकसभा चुनाव 2014 से पहले उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा और उनकी जगह हरीश रावत ने ली। मार्च में उत्तराखंड में कांग्रेस विधायकों के बगावती तेवरों से संवैधानिक संकट खड़ा हुआ तो विजय बहुगुणा ने पार्टी छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए।

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