पटना । काफी दिनों से शरद यादव और नीतीश कुमार के बीच चल रही तनातनी के बीच आज जेडीयू. एनडीए में शामिल हो गई है। यह घटनाक्रम कुछ यूं चला की नीतीश ने महागठबंधन तोड़कर भाजपा का दामन थाना जिससे शरद यादव पार्टी से नाराज हो गए और उन्होंने नीतीश की इस बात का विरोध किया। नीतीश को भी शरद का यह अंदाज पसंद नहीं आया और दोनों में तनातनी बढ़ती गई। इसी का परिणाम है कि जदयू अब एनडीए का हिस्सा हो गया है। आज पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इस पर मुहर लग गई। बैठक में पार्टी नेता केसी त्यागी ने इसका प्रस्ताव रखा जिसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। वहीं आज की बैठक में पार्टी के बागी नेता शरद यादव पर भी बड़ी कार्रवाई की चर्चा हुई लेकिन अभी उसे टाल दिया गया है। जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक आज साढ़े दस बजे से पटना में मुख्यमंत्री आवास,पर शुरू हुई। बैठक में जदयू के सभी आमंत्रित 70 सदस्यों में से 67 सदस्य शामिल हुए। एनडीए में शामिल होने के प्रस्ताव पर मुहर लगने के बाद नेता आरसीपी सिंह ने संगठन प्रस्ताव पेश किया। पार्टी के सदस्यों ने राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार से शरद यादव पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने को लेकर उनपर कड़ी कार्रवाई करने की बात कही, लेकिन इसे फिलहाल टाल दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक अभी पार्टी उनकी गतिविधियों का आकलन कर रही है और संभवत: लालू यादव की 27 अगस्त की रैली के बाद ही इसपर फैसला होगा।

जदयू नेताओं ने कहा- नीतीश के साथ हैं, रहेंगे
बैठक में भाग लेने पहुंचे झारखंड के जदयू प्रदेश अध्यक्ष जालेश्वर महतो ने कहा कि झारखंड से पार्टी के सभी सदस्य नीतीश कुमार के साथ हैं। वहां शरद यादव की कोई चर्चा नहीं है। नीतीश कुमार का एनडीए के साथ जाने का फैसला बिल्कुल सही है। वहीं, पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि पंजाब से हम सब नीतीश कुमार जी के साथ हैं। वहां शरद यादव का कोई आधार नहीं है। बिहार में एनडीए के साथ जाने का फैसला नीतीश का सही फैसला है, इससे बिहार की तरक्की होगी जो जरूरी है। बैठक तो आवास के अंदर चल रही है लेकिन मुख्यमंत्री आवास के बाहर समर्थकों का जमावड़ा लगा हुआ थौ। मुख्यमंत्री आवास के बाहर समर्थक नीतीश कुमार की जय-जयकार कर रहे हैं और एक सुर में कह रहे हैं कि बिहार का मतलब नीतीश कुमार और जदयू मतलब नीतीश कुमार होता है। शरद यादव का कोई वजूद नहीं। नीतीश कुमार ने भ्रष्टाचार से कभी समझौता नहीं किया, इसीलिए बिहार की राजनीति का सबसे बड़ा कोई चेहरा है तो वह है नीतीश कुमार का। समर्थकों ने यह भी कहा कि आज बिहार बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहा है और नीतीश कुमार की वजह से ही बिहार की जनता को केंद्रीय सहायता इतने बड़े पैमाने पर तुरत मिल गई है। अगर एनडीए के साथ जाने से बिहार को फायदा होता है और बिहार का विकास होता है तो कौन कहता है कि नीतीश का फैसला गलत है। वहीं दूसरी ओर आज जदयू के बागी नेता शरद के नेतृत्व में जन अदालत का भी आयोजन किया गया है। देखना होगा कि पार्टी कार्यकारिणी की बैठक में शरद यादव शरीक होते हैं या नहीं, क्योंकि वो नीतीश के भाजपा के साथ गठबंधन कर बिहार में सरकार बनाने से नाराज हैं और उन्होंने जदयू को अपनी पार्टी करार दिया है। साथ ही, नीतीश को खुली चुनौती भी दी है।

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