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– सरकारी कोष को 22.64 लाख रुपये की चपत लगाने का मामला
– एसीबी की एफआर को कोर्ट ने नामंजूर कर पुन: जांच के आदेश दिए

-जनप्रहरी एक्सप्रेस 
जयपुर। सुबोध कॉलेज जयपुर में नियम विरुद्ध तरीके से अनुदान राशि उठाकर सरकारी कोष को लाखों रुपयों की चपत लगाने के एक मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की ओर से पेश एफआर को भ्रष्टाचार मामलात संबंधी विशेष अदालत (क्रम-1) जयपुर महानगर ने नामंजूर कर दिया है और अनुसंधान एजेंसी को परिवादी द्वारा बताए गए साक्ष्यों पर जांच करके नतीजा रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं। परिवादी लक्ष्मीकांत शर्मा की शिकायत पर एसीबी में सुबोध शिक्षा समिति के चेयरमैन नवरतन कोठारी, मानद मंत्री सुमेर सिंह बोथरा, प्रोफेसर अश्वनी कुमार, प्रोफेसर एन.के.लोहिया, एसएस जैन सुबोध कॉलेज के प्राचार्य के.बी.शर्मा के खिलाफ गबन का मामला दर्ज है।
कोर्ट ने यह आदेश परिवादी लक्ष्मीकांत की नाराजगी याचिका को स्वीकार करके और एसीबी की एफआर को नामंजूर करते हुए दिए हैं। कोर्ट ने आदेश में कहा कि उक्त मामले में अनुसंधान अधिकारी ने गहन व विस्तृत अनुसंधान नहीं करके सरसरी तौर पर ही अंतिम प्रतिवेदन पेश कर दिया है। परिवादी लक्ष्मीकांत शर्मा ने जो आक्षेप लगाए थे, उन पर अनुसंधान नहीं किया गया। कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों पर जांच नहीं की गई। पूर्व में भी कोर्ट ने सरसरी तौर पर किए गए अनुसंधान की नतीजा रिपोर्ट को अपास्त कर दिया था। ऐसे में परिवादी द्वारा नाराजगी याचिका में उठाए गए आक्षेपों पर अनुसंधान अधिकारी को बिन्दुवार गहन व विस्तृत अनुसंधान करने और नतीजा रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए जाते हैं। परिवादी ने याचिका में बताया कि गबन मामले में तीन सदस्यीय जांच कमेटी में शामिल अधिकारियों सरबन सिंह, डॉ. अनुप श्रीवास्तव व डॉ. नीलम रायसिंघानी संयुक्त निदेशक कॉलेज शिक्षा निदेशालय जयपुर के बयान नहीं लिए गए। स्थानीय निधि अंकेक्षण विभाग जयपुर ने 22.64 लाख रुपये की वसूली किए जाने जाने और उक्त राशि धोखाधड़ी की श्रेणी में आने की अनुशंषा की, लेकिन अनुसंधान अधिकारी ने ऑडिट रिपोर्टकर्ता से कोई अनुसंधान नहीं किया। भर्ती प्रक्रिया में शामिल अधिकारी प्रोफेसर बी.एम.शर्मा, डॉ.पी.एन.भंडारी व अन्य पदाधिकारियों के बयान लेखबद्ध नहीं किए। इसके अलावा भर्ती व नियुक्ति के समय निष्पादित की गई मिनिट्स व वित्तीय अनियमितताओं पर जांच नहीं की गई। गबन के मामले में उक्त महत्वपूर्ण तथ्यों पर जांच नहीं करके अनुसंधान अधिकारी आरोपियों को कथित फायदा पहुंचा रहे हैं। कोर्ट ने परिवादी की याचिका को स्वीकार करते हुए एसीबी की एफआर को नामंजूर करके पुन:जांच करके नतीजा रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं।
– यह है मामला

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परिवादी लक्ष्मीकांत शर्मा की शिकायत पर एसीबी में सुबोध शिक्षा समिति के चेयरमैन नवरतन कोठारी, मानद मंत्री सुमेर सिंह बोथरा, प्रोफेसर अश्वनी कुमार, प्रोफेसर एन.के.लोहिया, एसएस जैन सुबोध कॉलेज के प्राचार्य के.बी.शर्मा पर आपसी मिलीभगत एवं अपने पदीय कर्तव्यों का दुरुपयोग करते हुए करीब 22.64 लाख रुपये के सरकारी अनुदान राशि का गबन करने को लेकर प्राथमिकी दर्ज करवाई गई, जिसमें बताया कि डॉ.के.बी.शर्मा को एसएस सुबोध पी.जी.कॉलेज में नियम विरुद्ध तरीके से प्राचार्य पद पर नियुक्ति दी गई, जो कि तब डॉ. शर्मा एसएस जैन सुबोध महाविद्यालय जयपुर में ही भौतिक शास्त्र के व्याख्याता पद पर कार्यरत थे। आरोपियों ने आपसी मिलीभगत करते हुए कॉलेज प्राचार्य पद पर मैनेजमेंट से वेतन भत्ते लेते रहे और साथ ही अनुदान के रुप में वे भौतिक शास्त्र व्याख्याता पद के वेतन भत्ते भी लेते रहे। 2004 से 2011 तक डॉ. शर्मा व दो अन्य प्रोफेसर नियम विरुद्ध तरीके से वेतन भत्ते उठाते रहे और सरकारी कोष को लाखों रुपयों का नुकसान पहुंचाते रहे। इस संबंध में कॉलेज शिक्षा कमिश्नर ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाई, जिसके सदस्यों ने भी माना कि सुबोध शिक्षा समिति के चेयरमैन समेत अन्य आरोपियों ने मिलीभगत करते हुए अनुदान राशि का गबन किया और सरकारी कोष को चपत लगाई। ऑडिट रिपोर्ट की जांच में भी गबन पाया गया।

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