जयपुर। बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आज बुधवार को सुनाए गए फैसले से भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के राष्ट्रपति बनने की तैयारियों पर पानी फिर गया है। कोर्ट ने बाबरी मस्जिद विध्वंस की आपराधिक साजिश में आडवाणी, जोशी समेत अन्य दस नेताओं पर केस चलाने की अनुमति दी है। इस आदेश से इन दोनों नेताओं के साथ अन्य नेताओं पर संकट आ सकता है। कोर्ट ने केन्द्रीय मंत्री उमा भारती पर भी मुकदमा चलाने को कहा है। राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह संवैधानिक पद पर होने के कारण उन्हें राहत मिली है। बाबरी विध्वंस के दौरान कल्याण सिंह यूपी के सीएम थे। सीबीआई की आपराधिक साजिश करने संबंधी अर्जी में कल्याण सिंह का भी नाम था, लेकिन राज्यपाल पद पर होने के कारण मुकदमा से राहत मिल गई। विपक्ष सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को आधार बनाते हुए केन्द्रीय मंत्री उमा भारती से इस्तीफे की मांग कर सकता है और संसद व बाहर दबाव डालने की राजनीतिक करेगा। वहीं राष्ट्रपति पद की दौड़ में सबसे आगे चल रहे आडवाणी और जोशी के सपनों और तैयारियों पर पानी फिर गया है। कोर्ट के इस आदेश से राष्ट्रपति पद पर चुनाव लडऩे की संभावना काफी कम हो गई है, उलटे विपक्ष इस मामले में दोनों नेताओं से सांसद पद से इस्तीफा लेने का दबाव बना सकता है। ऐसे में भाजपा भी उन्हें राष्ट्रपति पद पर चुनाव लडऩे पर विचार त्याग सकती है। कांग्रेस व दूसरे दल राज्यपाल कल्याण सिंह से भी नैतिकता के आधार पर इस्तीफे की मांग कर सकते हैं। कोर्ट के इस आदेश से आरोपी बनाए गए सभी नेताओं की मुश्किलें बढ़ गई है। खासकर आडवाणी, जोशी व उमा भारती की। अब देखना है कि विपक्ष इस मुद्दे को किस तरह से उठाता है और भाजपा इस पर क्या एक्शन लेती है।

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