Arrested

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने आज ऐसी व्यवस्था के सृजन का सुझाव दिया जिसमे कैदियों को उनकी दोषसिद्धि के खिलाफ उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय में दायर अपील की स्थिति के बारे मे एक सप्ताह के भीतर सूचित किया जाये। शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के विधिक स्वंयसेवी जेल में जाकर कैदी को उसके मुकदमे की स्थिति के बारे में अवगत करा सकते हैं। न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एन नागेश्वर राव की पीठ ने कहा कि कई बार कैदियों को अपने मुकदमे की स्थिति की जानकारी ही नहीं मिलती है।

पीठ ने कहा, ऐसी स्थिति में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए जिसमें राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण का एक विधिक स्वंयसेवी एक रजिस्ट्रर में सारी जानकारी रखे और जेल में कैदी को उसके मुकदमे की स्थिति से एक सप्ताह के भीतर अवगत कराये। उसे यह भी बताना चाहिए कि उसके पास और क्या कानूनी विकल्प हैं और वह कैसे इनका लाभ ले सकता है। न्यायालय ने इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत और सिद्धार्थ लूथरा को न्याय मित्र नियुक्त करने के साथ ही इसकी सुनवाई 12 दिसंबर के लिये स्थगित कर दी। न्यायालय ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को नोटिस की तामील करने का निर्देश देते हुये उनसे जवाब मांगा है। शीर्ष अदालत ने अपराध न्याय प्रणाली में सुधार के उद्देश्य से 30 मार्च को सभी राज्यों और उच्च न्यायालयों से दण्ड मैनुअल में संशोधन के बारे में आम सहमति तैयार करने के लिये सुझाव मांगे थे। न्यायालय ने केरल की एक आपराधिक मामले में अपील पर सुनवाई के दौरान इस मुद्दे को स्वत: ही विचार के लिये लिया था।

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