जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने भरतपुर व अलवर जिलों के बीच रूपारेल नदी के पानी के बंटवारे को लेकर राज्य सरकार को राजस्थान रिवर बेसिन एंड वाटर रिसोर्सेज प्लानिंग एक्ट 2015 के तहत स्टेट वाटर रिसोर्सज एडवाइजरी कौंसिल गठित करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कौंसिल को कहा कि वह इस मामले में दस्तावेज का अध्ययन कर छह महीने में सकारात्मक रूप से आवश्यक आदेश दे। मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नांद्रजोग व जीआर मूलचंदानी की खंडपीठ ने यह आदेश अनूप दायमा की याचिका का निपटारा करते हुए दिए। अदालत ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता विवाद से जुडे मामले में कोई दस्तावेज देना चाहे तो सौंप सकता है।
याचिका में कहा गया कि अलवर से बरसाती नदी रूपारेल निकलती है जो भरतपुर तक जाती है। इस नदी के पानी के बंटवारे को लेकर 1910 में यूपी के सिंचाई विभाग के तत्कालीन सुपरिटेंडेंट इंजीनियर जीटी बार्लो ने एक रिपोर्ट बनाई थी। इस रिपोर्ट के आधार पर भरतपुर व अलवर जिलों में इस नदी के पानी का बंटवारा किया गया। इसके अनुसार अलवर को एक व भरतपुर जिले को पानी का सवा हिस्सा दिया गया। इस बंटवारे को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि भरतपुर जिले में भूमिगत जल का स्तर अच्छा है और उसे चंबल नदी से भी पानी मिल जाता है। जबकि अलवर जिला सूखा क्षेत्र हैं और यहां पर पानी की स्थिति खराब है।
इसलिए अलवर को अब भरतपुर जिले से ज्यादा पानी दिया जाए। इसलिए पानी के पूर्व में हुए बंटवारे पर पुनर्विचार किया जाए। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि मामले में राज्य सरकार ने एक कमेटी बना दी है। जिस पर अदालत ने कहा कि वे कौंसिल बनाएं और कौंसिल छह महीने में मामले में निर्णय करें।