– दिल्ली मुम्बई कॉरिडोर में लगने वाले मास्ट (खंभे) की पहली खेप ही टेस्टिंग में फेल होने के बाद विवादों में आई। फेल मास्ट को रद्द और सील करने के बजाय प्रोजेक्ट अफसरों ने मामले को दबाए रखा और कंपनी को कथित फायदा देने के लिए फेल मास्ट लगाने की तैयारियों में लगे रहे। जनप्रहरी एक्सप्रेस में स्टोरी प्रकाशित होने के बाद हरकत में आए डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (डीएफसीसीआईएल) प्रशासन ने जांच रिपोर्ट के आधार पर फेल मास्ट के ठेके को रद्द कर दिया।
जयपुर। दिल्ली मुम्बई औद्योगिक कॉरिडोर (डीएमआईसीसी) के तहत बन रहे डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसीसीआई) में अब टेस्टिंग में फेल हुए हजारों मास्ट(खंभे) अब नहीं लगेंगे। इन फेल मास्ट को लगाने के फेर में लगे प्रोजेक्ट के आला अफसरों और मैनेजरों की कंपनी के साथ कथित मिलीभगत की पोल जनप्रहरी एक्सप्रेस ने अपनी स्टोरी में खोली
तो डीएफसीसीआई नोएडा और दिल्ली ऑफिस कार्यालय हरकत में आया। डीएफसीसीआई ने फेल मास्ट को नहीं लगाने का फैसला करते हुए मास्ट ठेके को रद्द कर दिया है। मिलीभगत और कमीशनखोरी के इस खेल के बारे में जनप्रहरी एक्सप्रेस ने केन्द्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु, भारतीय रेलवे के आला अफसरों को भी टविट्र, ई-मेल और सोशल मीडिया के मार्फत इस भ्रष्टाचार के बारे में बताया। बताया जाता है कि केन्द्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु और रेलवे के आला अफसरों ने इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगा तो आनन-फानन में डीएफसीसीआई ने फेल मास्ट को नहीं लगाने और इस ठेके को रद्द करने का फैसला किया। इस फैसले से अब बाइस करोड़ रुपए के वे खंभे (2688 मास्ट) की लॉट लग नहीं पाएगी, जिन्हें डीएफसीसीआई की जांच रिपोर्ट में फेल घोषित कर दिया था। कंपनी की यह पहली खेप थी और वे ही फेल हो गई।
हालांकि डीएफसीसीआई राजस्थान इकाई के अफसरों ने इस रिपोर्ट को काफी समय तक दबाए रखा। वे फेल मास्ट को खपाने के फेर में लगे हुए थे। इस संबंध में डीएफसीसीआई नोएडा और दिल्ली विंग में भी काफी पत्राचार होता रहा, लेकिन किसी ने भी समय पर कदम नहीं उठाया। मिलीभगत से हो इस पूरे खेल को जनप्रहरी एक्सप्रेस ने प्रमुखता से प्रकाशित किया, जिसके बाद हरकत में आए डीएफसीसीआई प्रशासन ने ठेके को रद्द किया।
– हमने ठेके को रद्द कर दिया है…
डीएफसीसीआईएल के डीजीएम (जनसम्पर्क) राजेश खरे से फेल मास्ट को रद्द नहीं करने और इसे खपाने के बारे में सवाल किया तो उनका जवाब था कि राजस्थान रीजन में फेल मास्ट के ठेके को रद्द कर दिया है। इससे ज्यादा कुछ नहीं कह सकते। हालांकि नियमानुसार जांच रिपोर्ट में फेल हुए मास्ट और उनकी खेप को सील करके रखने के प्रावधान है, ताकि कंपनी इसे कहीं दूसरी जगह सप्लाई नहीं कर सके। देखना है कि डीएफसीसीआईएल प्रशासन इस बारे में क्या कदम उठाता है और उन अधिकारियों व मैनेजरों पर क्या कार्रवाई करता है, जिन्होंने फेल मास्ट रिपोर्ट को कई महीनों तक दबाए रखा और इसे रद्द नहीं किया।
– मात्र नौ ही खंभे पास हुए
डीएफसीसीआईएल की जांच रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी की ओर से भेजे गए 2688 मास्ट में से 50 मास्ट निकाले गए। इनकी टेस्टिंग की गई तो इनमें में से मात्र 9 ही टेस्टिंग में सही पाए गए और शेष खंभों को लगाने योग्य नहीं माना।




























