High Court

नयी दिल्ली : यहां की एक विशेष अदालत ने कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में विवादित कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया का बयान अभियोजन पक्ष के उपयोग के लिहाज से किसी मतलब का नहीं था और उन्होंने अपनी गवाही में कोई उल्लेखनीय बात नहीं कही थी। उन्होंने विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश ओ पी सैनी के समक्ष अभियोजन पक्ष की ओर से गवाही दी थी। उन्होंने कहा था कि टाटा टेलीसर्विसेज लिमिटेड (टीटीएसएल) को अन्य से आगे रहने के बावजूद स्पेक्ट्रम का आवंटन नहीं किया गया था।

इस कथित घोटाले के सामने आने के बाद मीडिया के नजरों में आईं राडिया जज का विश्वास जीतने में विफल रहीं। अदालत ने अपने फैसले में कहा, ‘‘इस गवाह (राडिया) ने कोई कारण नहीं बताया है कि टीटीएसएल को स्पेक्ट्रम क्यों नहीं मिला। शायद वह जानती थी कि सही कारणों से ऐसा नहीं हुआ था। उनके बयान में कोई उल्लेखनीय चीज नहीं है। उनका बयान अभियोजन पक्ष के काम की चीज नहीं है।’’ सीबीआई द्वारा दो अप्रैल, 2011 को दायर आरोपपत्र में राडिया का नाम प्रमुख गवाहों में शामिल था।

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