जयपुर। पुष्कर में चल रहे दुनिया के सबसे बड़े वार्षिक पशु मेले का कार्तिक पूर्णिमा में स्नान के साथ ही समापन हो गया। फेयर में हजारों-लाखों ग्रामीण पशु खासकर ऊंट खरीदने पहुंचे तो हजारों की तादाद में विदेशी पर्यटक भी इस फेयर को देखने आए। फेयर में हुए रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों को देख पर्यटकों के साथ ग्रामीण भी मंत्रमुग्ध हुए और यहां हुई विभिन्न प्रतियोगिताओं में ग्रामीणों और पर्यटकों ने हिस्सा भी लिया। हॉट एयर बैलून फ्लाइट्स का आकर्ष भी लोगों को खींचा। रस्साकशी, मटका दौड़ प्रतियोगिता, चकरी नृत्य, कालबेलिया नृत्य, गैर नृत्य, चंग ढ़प, कच्छी घोड़ी आदि सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में पर्यटकों ने हिस्सा लिया। पुष्कर मेला पूरी दुनिया में अपने आप में अनोखा पशु मेला है। इस मेले में लाखों ग्रामीण पशुओं की खरीद और बेचान के लिए आते हैं। साथ ही पुष्कर सरोवर में स्नान और ब्रह्मा मंदिर के दर्शन करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, पुष्कर मेला कार्तिक माह की अष्टमी एवं चंद्र कैलेंडर के आठवें दिन शुरू होता है, जो पूर्णिमा तक चलता है। इस मेले के शुरूआती दिनों में ऊंट और पशु व्यापार पूरे चरम पर होता है। मेले के आखिरी दिनों में धार्मिक गतिविधियों की अधिकता होती हैं।

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