जयपुर। जेईई मेंस के रिजल्ट में राजस्थान के उदयपुर के रहने वाले कल्पित वीरवाल ने ऑल इंडिया टॉप किया। कल्पित ने वो अकल्पित कारनामा भी दिखाया, जो आज तक कोई नहीं कर पाया। कल्पित वीरवाल ने 360 में से 360 अंक हासिल किए। कल्पित एससी वर्ग से है, लेकिन उन्होंने सभी वर्गों में टॉप किया। सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे कल्पित के पिता सरकारी अस्पताल में कंपाउण्डर है। मां सरकारी शिक्षक है और एक बड़ा भाई एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है। कल्पित की कामयाबी की खास बात यह है कि दलित वर्ग से होने के बावजूद वो मुकाम हासिल किया है, जो हर कोई चाहता है। इस कामयाबी ने संदेश दिया है कि पढ़ाई किसी वर्ग या जाति की बंधक नहीं है और ना ही उसका प्रभुत्व है। अगर दृढ़ निश्चय करके पढ़ाई करें तो कोई मुकाम हासिल किया जा सकता है, जैसे कल्पित ने करके दिखाया है। कल्पित ने दलित वर्ग के छात्रों और उनके अभिभावकों को एक राह दिखाई है कि कोई भी परीक्षा हो, चाहे मेडिकल, इंजीनियरिंग और सिविल सर्विसेज, अगर पूरी ईमानदारी और मेहनत से पढ़ाई करके दी जाए तो सफलता मिलना निश्चित है। गरीबी-अमीरी और महंगे कोचिंगों में पढ़ाई इसमें बाधक नहीं है। कल्पित की सफलता की अच्छी बात यह है कि उसने घर पर पढ़ाई करके टॉपर रहा है। उसने कोटा व दूसरे बड़े शहरों में महंगे कोचिंग संस्थानों की सेवाएँ नहीं ली है। कल्पित ने दिखा दिया कि सफलता के लिए कोचिंग संस्थान कोई मायने नहीं रखते हैं और ना ही महंगे व प्रतिष्ठित स्कूलों में पढ़ाई। कुछ सालों से अभिभावकों ने अपने बच्चों के सुनहरे भविष्य के लिए महंगे कोचिंग संस्थानों के प्रति अनायास ही भाग-दौड़ मचा रखी है। मेडिकल, इंजीनियरिंग और दूसरी परीक्षाओं में सफलता के लिए वे कर्जे लेकर भी कोचिंग संस्थानों को लाखों रुपए दे रहे हैं। 90 फीसदी परिणाम नेगेटिव ही रहते हैं। फेल होने पर बच्चों में हीनभावना पनप रही है और सुसाइड जैसे कदम उठाने की गलत प्रवृत्ति बढ़ रही है। कल्पित का कारनामा ऐसे कोचिंग संस्थानों पर एक तमाचा है, साथ ही अभिभावकों व बच्चों को संदेश देता है कि घर में रहकर और पढ़कर हर बड़ा मुकाम हासिल किया जा सकता है। कल्पित की यह कामयाबी समाज और देश को एक नई राह दिखाएगी।

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