BJP government will not take minor castes lightly, EBC will be on bill
जयपुर। गुर्जर आरक्षण के साथ ही सवर्ण आरक्षण पर फैसला नहीं करने से आरक्षण से वंचित जातियों के युवा आक्रोशित हैं और राज्य सरकार अपनी स्थिति को स्पश्ट करना भी उचित नहीं समझ रही है, ये दुर्भाग्यपूर्ण है। सर्व ब्राह्यण महासभा के प्रदेशाध्यक्ष एवं सवर्ण आरक्षण मंच के संयोजक पण्डित सुरेश मिश्रा ने राज्य सरकार से मांग की है कि सवर्ण आरक्षण पर तत्काल प्रभाव से सरकार फैसला करें और अपनी स्थिति को स्पष्ट करें। मिश्रा ने राज्य सरकार को आगाह किया है कि पिछले 15 सालों से आर्थिक आधार पर आरक्षण के लिये आरक्षण से वंचित जातियां संघर्ष कर रही है और सरकार अब इस मामले में टालमटोल नहीं करें। क्योंकि युवा कुंठित है और परेशान है। प्रदेश में आरक्षण से वंचित युवाओं में जबरदस्त आक्रोश है। सरकार को इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। अन्यथा राजस्थान में जबरदस्त आंदोलन छेडा जाएगा। मिश्रा ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि सरकार हर बार एक नया बिल लाती है और ये कहती है कि ये बिल ही ठीक है परन्तु हर बार ये मामला न्यायालय में अटक जाता है। पिछले 3 बार 14 प्रतिशत सवर्णो के लिये और 5 प्रतिषत गुर्जरों को आरक्षण देने का फैसला सरकार ने किया तो क्या सरकार के वो फैसले गलत थे या कल जो विधानसभा में विधेयक लाया ये गलत था। लेकिन इस बार सिर्फ गुर्जरों को आरक्षण देने की बात कही जा रही है। इससे साफ जाहिर होता है कि सवर्ण आरक्षण पर सरकार की नियत साफ नहीं है और सरकार सवर्णो की अनदेखी कर रही है।
आर-पार का होगा संघर्ष, चेत जाए सरकार
मिश्रा ने कहा कि जब आरक्षण 50 प्रतिशत से ऊपर जाना ही है तो नवीं अनुसूचि में 14 प्रतिषत व 5 प्रतिषत दोनो को जोडकर विधानसभा में विधेयक लाना चाहिए था। इस समय केन्द्र में भी सरकार भाजपा की है और राज्य में भी सरकार भाजपा की है ऐसे में इसे बिना टामटोल के और गुमराह किए बिना संविधान संंशोधन की कार्यवाही कर नवीं अनुसूचि में जोडा जाये। पण्डित सुरेश मिश्रा ने कहा है कि सवर्ण आरक्षण पर सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है, क्योंकि जो अगडे थे, अब वो पिछड गये हैं और उन्हें मुख्य धारा से जोडने के लिये आर्थिक आधार पर आरक्षण देना आवश्यक है। भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में इसे सम्मिलित भी किया है लेकिन लगातार इस पर टालमटोल हो रही है। उसी का नतीजा है कि पुरे प्रदेश में युवाओं में जबरदस्त आक्रोश है। सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए अन्यथा युवा सडकों पर आकर संघर्ष प्रारम्भ करेगा। अब आर-पार का संघर्ष होगा।

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