Why not separate school for children suffering from autism: Supreme Court

नयी दिल्ली।उच्चतम न्यायालय ने स्वलीनता, दृष्टिहीनता और बधिरता से पीडित बच्चों के लिये अलग स्कूलों और विशेष रूप से प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी पर आज सवाल उठाये। शीर्ष अदालत ने एक मामले की सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि यह सोचना ही असंभव है कि किसी न किसी प्रकार की दिव्यांगता से ग्रस्त बच्चों को सामान्य बच्चों के साथ मुख्य धारा के स्कूलों में शिक्षा प्रदान की जा सकती है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि शिक्षा प्राप्त करने को संविधान के अनुच्छेद 21ए के अंतर्गत मौलिक अधिकार माना गया है और नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का बच्चों का अधिकार कानून, 2009 के तहत राज्यों का यह वैधानिक कर्तव्य है। पीठ ने कहा, ‘‘पहली नजर में हमारा मानना है कि विशेष जरूरत वाले बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिये विशेष शिक्षक ही नहीं बल्कि उनके लिये विशेष स्कूलों का होना भी जरूरी है।’’ पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को उसकी टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुये चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है जिसमें यह स्पष्ट किया जाये कि राज्य कब तक इस जिम्मेदारी को पूरा करेगा। साथ ही न्यायालय ने इस मामले को 27 नवंबर के लिये सूचीबद्ध कर दिया।

पीठ ने कहा, ‘‘जब हम ‘दिव्यांगता’ कहते हैं, तो हमारा तात्पर्य दिव्यांगता से प्रभावित व्यक्तियों के अधिकार कानून, 2016 में परिभाषित ‘दिव्यांगता’ से नहीं है। इस कानून में कुछ शारीरिक अक्षमतायें शामिल हैं जिनकी विशेष स्कूल में प्रवेश के लिये आवश्यकता नहीं होती है।’’ पीठ ने ऐसे बच्चों के लिये अलग व्यवस्था पर जोर देते हुये कहा कि दृष्टिहीनता, बधिरता और स्वलीनता या ऐसी ही अन्य समस्या से ग्रस्त बच्चों के लिये अलग स्कूल और विशेष प्रशिक्षित शिक्षकों की आवश्यकता है। न्यायालय वकील प्रशांत शुक्ला के माध्यम से दायर रजनीश कुमार पाण्डे की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिका में दावा किया गया है कि उत्तर प्रदेश और दूसरे राज्यों में विशेष जरूरतों वाले बच्चों के लिये पर्याप्त संख्या में विशेष शिक्षकों का अभाव है। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि राज्य सरकार ऐसे बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिये प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने राज्य में 12000 शिक्षकों की सेवायें लेने की प्रक्रिया शुरू की है। इनमें से कुछ शिक्षक विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों के लिये भी होंगे।

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