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– कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने मुन्द्रा बंदरगाह पर मिली 21 हजार करोड़ रुपये की ड्रग्स मामले में कार्यवाही नहीं होने पर उठाए सवाल,
बॉलीबुड में 200 ग्राम ड्रग्स मिलने पर मीडिया में दस-दस दिन तक बवाल, 3000 किलो हेरोईन मिलने पर मीडिया शांत।
जयपुर। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह ने गुजरात के मुन्द्रा बंदरगाह पर मिली 21 हजार करोड़ रुपये की करीब तीन हजार किलो की ड्रग्स मामले को लेकर केन्द्र सरकार पर निशाना साधा। जयपुर में एक अक्टूबर को पीसीसी में आयोजित प्रेसवार्ता में दिग्विजय सिंह ने कहा कि मुन्द्रा बंदरगाह पर आशीष ट्रेडिंग कंपनी द्वारा अफगानिस्तान से सिलिका टेलकम पाउडर मंगवाया, जो ईरान होते हुए मुंद्रा बंदरगाह पहुंचा। केन्द्रीय एजेंसियों ने 13 सितम्बर, 2021 को उक्त पाउडर की जांच की तो यह हेरोईन ड्रग्स पाई गई, जिसकी बाजार में कीमत 21 हजार करोड़ रुपये आंकी गई है। इसी कंपनी ने 9 जून, 2021 को 25 हजार किलो टेलकम पाउडर अफगानिस्तान की एमएफ हसन लिमिटेड कंपनी से मंगवाया था। यह माल भी गुजरात में उतरा, लेकिन इसका कोई अता-पता नहीं है। इसकी बाजार में कीमत 1 लाख 75 हजार करोड़ रुपये बताई जाती है। दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि देश में बड़े स्तर पर ड्रग्स आ रही है। उक्त ड्रग्स शिपमेंट में आ रही है। देश में 5 लाख से 10 लाख करोड़ तक की ड्रग्स का व्यापार हो रहा है।

उन्होंने कहा कि बॉलीवुड में 200 से 300 ग्राम ड्रग्स बरामद होने पर मीडिया में दस-दस दिन तक चर्चा होती रहती है। हीरो-हीरोईन पर केस बनते हैं। जेल भेजे जाते हैं, लेकिन पच्चीस हजार करोड़ रुपये की तीन हजार किलो ड्रग्स मिलने के बावजूद मीडिया में कोई प्रतिक्रिया नहीं है और ना ही इतने बड़े ड्रग्स रैकेट पर कोई महत्व दिया गया।
यहीं नहीं आज तक आशीष ट्रेडिंग कम्पनी के कार्यालय पर सरकारी एजेंसियों ने कोई कार्यवाही नहीं की, बल्कि चेन्नई में रहने वाले एक दम्पत्ती के विरुद्ध कार्यवाही की गई है, जिसे इस शिपमेंट की एवज में चार लाख रुपये कमीशन मिला है। ईडी, सीबीआई, एनआईए, आईटी जैसे विभागों के होते हुए ड्रग्स का इतना बड़ा गोरखधंधा कैसे हो रहा है, यह जांच का विषय है।
– मीडिया प्रश्न नहीं कर रही है….
दिग्विजय सिंह ने प्रेसवार्ता में आरोप लगाया कि भाजपा राज में राजनीतिक प्रतिद्वंदियों के विरूद्ध ईडी, आईटी, सीबीआई के झूठे छापे डालकर प्रताडित किया जाता है। उन्हें भाजपा ेमें शामिल करने के लिए दबाव डाला जाता है। कोई भाजपा में शामिल हो जाता है तो केस खत्म नहीं, नहीं तो परेशान करते रहते हैं। भाजपा सरकार और पीएम नरेन्द्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह के काम करने का यहीं तरीका चल रहा है।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि भाजपा के नेता व परिजन ड्रग्स के तेरह मामलों में लिप्त पाए गए लेकिन मीडिया ने भाजपा से इस बारे में कोई प्रश्न नहीं किया। मीडिया में हिन्दू-मुसलमान, हिन्दुस्तान-पाकिस्तान,  अफगानिस्तान-तालिबान के मुद्दों पर बहस होती रहती है। मुन्द्रा बंदरगाह में मिली ड्रग्स मामले में बहस क्यों नहीं करती है मीडिया। यह एक खतरनाक मसला है। ड्रग्स से देश के नौजवानों को बिगाड़ा जा रहा है। ड्रग्स के मुद्दे पर राष्ट्रहित में बहस होनी चाहिए। जो लोग ड्रग्स के इस घिनौने व्यवसाय में लिप्त है उन्हें सामने लाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के जिन 13 नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के विरूद्ध ड्रग्स के मामलों में लिप्त होने के आरोप लगे है। उनके विरूद्ध एनडीपीएस एक्ट में केन्द्र सरकार ने क्या कायज़्वाही की है इसकी जानकारी देश को देनी चाहिए।
मुन्द्रा पोर्ट पर 21 हजार करोड़ रुपये की जो हेरोईन पकड़ी गई है, उसकी जाँच केन्द्र सरकार द्वारा नेशनल इन्वेस्टिेगेशन एजेन्सी को सौंपी गई है जबकि इस एजेन्सी के द्वारा भारतीय जनता पार्टी से संबंधित आरोपियों को बरी करवाने का इतिहास है। प्रोसीक्यूशन का उद्देश्य होता है कि आरोपियों को सजा दिलवाई जावें लेकिन एनआईए ने भाजपा सरकार के इशारे पर भाजपा से संंबंधित उन आरोपियों को दोष मुक्त करवाने का कार्य किया है, जिन पर अजमेर दरगाह ब्लास्ट, मालेगांव ब्लास्ट, मक्का मस्जिद ब्लास्ट, समझौता एक्सप्रेस में बम ब्लास्ट के आरोप लगे हैं। देश को एनआईए पर भरोसा नहीं है। एनआईए द्वारा प्रकरणों में वहीं वकील लगाये जाते हैं जो अपराधियों को दोष सिद्ध करने की बजाय दोषमुक्त करवाने के लिए बहस करते हैं, जिनके प्रमाण पूर्व में आ चुके हैं।
कांग्रेस पार्टी प्रधानमंत्री से माँग करती है कि इस ड्रग्स मामलें की जाँच एनआईए की बजाय सुप्रीम कोर्ट के जज के अधीन किसी कमेटी से करवायी जाए।

– नोटबंदी भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला
दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि पीएम मोदी ने नोटबंदी से भ्रष्टाचार, आतंकवाद तथा नकली नोट समाप्त होने की बात कही थी, लेकिन जिस वक्त नोटबंदी हुई तब 17.8 लाख करोड़ नकदी बाजार में प्रचलित थी। सवाल उठता है कि ्रष्टाचार खत्म करने के लिए नोटबंदी की गई थी तो देश में नकदी घटनी चाहिए थी जबकि नोटबंदी के पाँच साल बाद 17.8 लाख करोड़ की बजाय आरबीआई के आंकड़ों के आधार पर 26.7 लाख करोड़ की नकदी बाजार में प्रचलित है। देश में डिजीटल करेंसी का प्रचलन बढऩे के बजाय नकद की तरलता बढ़ गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि देश में बड़े पैमाने पर नकली नोट बाजार में प्रचलन में है, जिसकी जाँच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मोदी जी कहते थे कि ना खाऊँगा, ना खाने दूंगा किन्तु पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने सही कहा था कि नोटबंदी भारत में इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला है। नोटबंदी के समय भाजपा के गुजरात से विधायक डॉ. ओझा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को पत्र लिख कर चेताया था कि गुजरात में अमित शाह के लोग एक करोड़ रुपये के पुराने नोट लेकर 67 लाख रुपये के नए नोट दे रहे है। यह लिखित पत्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भेजा था लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। यह जानकारी मिली कि नोटबंदी के पश्चात् नए नोट सबसे ज्यादा गुजरात के कॉपरेटिव बैंकों को दिए गए तथा इन बैंकों में अधिकतर पर अमित शाह से संबंद्ध लोग ही काबिज है। इस प्रकरण की पूरी जाँच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा की थी कि विदेशों में जमा काला धन वापस लाएंगे। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज के नेतृत्व में विशेष जाँच दल बनाया गया लेकिन 7 वर्षों बाद भी इसकी रिपोर्ट सामने नहीं आयी है। राफेल विमान सौदे में भी नियमों की पालना नहीं की गई, जिसकी राशि में 126 राफेल विमान आने चाहिए थे, उस राशि में मात्र 36 ही विमान आए।
– बंदरगाहों से हो रही ड्रग्स सप्लाई
प्रेसवार्ता में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सहयोगी उद्योगपति अडानी के नियंत्रण वाले मुंद्रा बंदरगाह से हजारों करोड़ की ड्रग्स देश के कोने-कोने में भेज दी गई और इस गम्भीर मुद्दे पर केन्द्र सरकार द्वारा आज तक कोई अपेक्षित कार्यवाही नहीं की गई है। भाजपा की केन्द्र सरकार की अकर्मण्यता के कारण देश के नौजवान ड्रग्स लेने जैसी बुरी आदतों के शिकार हो रहे है तथा भारतीय जनता पार्टी को देश के युवाओं एवं उनके भविष्य को लेकर कोई चिंता नहीं है। उन्होंने कहा कि ड्रग्स की बरामदगी के मुद्दे को गम्भीरता से लेकर केन्द्र सरकार को ड्रग्स के व्यापार से निपटने हेतु रूपरेखा तैयार कर दोषियों के विरूद्ध कड़ी कायज़्वाही करनी चाहिए।

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