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लखनऊ। उत्तरप्रदेश के चुनाव नतीजों ने स्पष्ट जनादेश भाजपा को दिया है। बीजेपी ट्रिपल सेंचुरी मार रही है। इस ऐतिहासिक जनादेश उन बयानों पर मुहर लगा दी है, जो विधानसभा चुनाव प्रचार प्रसार के दौरान यूपी के बेटों और बाहरी बेटे को लेकर की गई थी। नतीजों से जाहिर है कि यूपी की जनता ने यूपी को गोद लेने वाले पीएम नरेन्द्र मोदी पर विश्वास जताते हुए खुलकर वोट दिए, साथ ही उन अपने बेटों को लोकसभा चुनाव की तरह विधानसभा चुनाव में फिर से नकार दिया था, जो खुद को यूपी का बेटा कहकर जनता से वोट मांग रहे थे। नतीजे कह रहे हैं कि यूपी का बेटा बता रहे सीएम अखिलेश यादव और कांग्रेस उपाध्यक्ष व अमेठी से सांसद राहुल गांधी को जनता ने पसंद नहीं किया। उन्हें वोट नहीं देकर नकार दिया है। जनता ने पीएम नरेन्द्र मोदी पर विश्वास जताया। विधानसभा चुनाव में सपा और गठबंधन की हार के ऐसे कई कारण सामने ला दिए हैं, जिससे इस गठबंधन की करारी शिकस्त हुई है। पीएम मोदी के वादों और बयानों पर जनता ने भरोसा किया तो सीएम अखिलेश व राहुल गांधी के बयानों व वादों पर यकीन नहीं कर पाए। चुनाव में गठबंधन की करारी हार के पीछे सपा परिवार की आपसी कलह भी सामने आई है। चुनाव से पहले इस कलह को अखिलेश यादव के पक्ष में बताया जा रहा था, वहीं नतीजों से जाहिर है कि हार के पीछे कुनबे की कलह भारी पड़ी है। सपा परिवार में फूट से अखिलेश यादव अकेले पड़ गए। उनके पिता मुलायम सिंह यादव, चाचा शिवपाल समेत कई बड़े नेताओं ने चुनाव से दूरी बना ली। कार्यकर्ता भी हताश दिखे इस फूट और बगावत से। करीब ेएक साल से सपा फैमिली के ड्रामे को जनता ने भी पसंद नहीं किया। ना ही अखिलेश यादव चुनावी साल में वो करिश्मा नहीं दिखा पाए, जिसकी जनता आस कर रही थी। इसके अलावा पांच साल में यूपी की खराब कानून व्यवस्था भी सपा सरकार पर भारी पड़ी। मुजफ्फरनगर, मेरठ, कानपुर समेत कई जगहों पर दंगों ने सरकार की छवि को बिगाड़ा। हत्या, अपहरण, बलात्कार, फिरौती के मामले इतने ज्यादा हो गए कि प्रदेश में कानून नाम की कोई चीज नहीं दिखती थी। पुलिस थानों और प्रशासन में यादव व कुछ जातियों के एकाधिकार से दूसरी जाति के लोग सपा सरकार के खिलाफ लामबंद हो गए। नाकाम कानून व्यवस्था को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सपा सरकार पर जमकर हमले किए थे। जनता तक यह बात बैठा दी कि सपा सरकार में यूपी की जनता सुरक्षित नहीं है और ना ही विकास संभव है।
– खुद की जाति पर भरोसा और आगे बढ़ाया
यूपी की सपा सरकार के महत्वपूर्ण पदों, आयोगों और बोर्डों में यादव, मुस्लिम व एकाध जातियों का बोलबाला रहा। इस वजह से दूसरी जातियों में ना केवल गुस्सा दिखा, बल्कि यूपी में निकली सरकारी नौकरियों की भर्तियों में यादव व दूसरी एकाध जातियों की भरमार रही। इसके चलते बड़े आंदोलन भी हुए यूपी में। खुद पीएम नरेन्द्र मोदी ने यह बयान देकर सपा सरकार को घेरा कि यूपी के पुलिस थानों से समाजवादी पार्टी के कार्यालय चलते हैं, जो इशारा कर रहे थे कि वे प्रदेश में एक ही जाति के ज्यादा दखल पर बयान दे रहे थे।
– गठबंधन का फायदा नहीं मिला
विधानसभा चुनाव से ऐन पहले सपा का कांग्रेस से गठबंधन का कोई फायदा नहीं मिला। बल्कि इससे नुकसान हुआ। कांग्रेस को एक सौ सीटें देनी पड़ी, जिससे पार्टी के कई नेता बसपा, भाजपा में चले गए और बागी खड़े होकर पार्टी को नुकसान पहुंचाया। गठबंधन के बाद भी दो दर्जन सीटों पर कांग्रेस-सपा ने एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदार उतार दिए। इससे गलत मैसेज गया। दोनों ही दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओँ में एक-दूसरे के प्रति विश्वास कम ही दिखा। वैसे भी यूपी में कांग्रेस बेहद कमजोर स्थिति में है। वहां कार्यकर्ता कम और नेता ज्यादा है। खुद कांग्रेसी भी मानते थे कि यूपी में कांग्रेस को कोई चमत्कार की भी उम्मीद नहीं थी। कांग्रेसी अखिलेश यादव के जरिए नैया पार लगवाने की जुगत में दिखे।
-यूपी में चली मोदी लहर
यूपी के चुनाव नतीजों ने जाहिर कर दिया कि लोकसभा की तरह विधानसभा चुनाव में भी यूपी की जनता ने पीएम नरेन्द्र मोदी पर विश्वास जताया। तीन सौ अधिक सीटें भाजपा को दी है यूपी की जनता। यह सब हुआ है पीएम नरेन्द्र मोदी के धुआंधार प्रचार और उनके वादों के चलते। जनता आज भी उम्मीद कर रही है कि पीएम मोदी देश और उनके लिए कुछ अच्छा करेंगे। देश और यूपी के अच्छे दिन आएंगे। मोदी ने भी बिना किसी पक्षपात के यूपी के विकास की बात कही। यूपी की जनता ने नोटबंदी के ऐतिहासिक फैसले, पाकिस्तान के खिलाफ की गई सर्जिकल स्ट्राइक को पसंद करते हुए बम्पर वोट दिए।

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