Unedited footage of 30 film reels of Mahatma Gandhi discovered

राष्ट्रीय फ़िल्म संग्रहालय ने मद्रास और रामेश्वरम में गांधीजी की अस्थियों के विसर्जन की दुर्लभ फुटेज ढूंढ़ी

delhi.राष्ट्रीय फ़िल्म संग्रहालय (एनएफएआई) ने महात्मा गांधी की 30 रील की असंपादित फुटेज ढूंढ़ निकाली है जो लगभग छह घंटे की अवधि की है। 35 एमएम की कई सेल्युलॉइड फुटेज, असंपादित और स्टॉक दृश्य इसमें शामिल हैं जिनके बीच में उनके शीर्षक कार्ड भी डाले गए हैं। इन्हें दरअसल उस वक्त के कई प्रमुख फिल्म स्टूडियो द्वारा लिया गया जैसे पैरामाउंट, पाथे, वॉर्नर, यूनिवर्सल, ब्रिटिश मूवीटोन, वाडिया मूवीटोन आदि।

एनएफएआई के निदेशक श्री प्रकाश मगदूम ने कहा, “यह वाकई में एनएफएआई के लिए एक बहुत ही अद्भुत खोज है, वो भी एक ऐसे समय में जब पूरी दुनिया महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रही है। इस फुटेज संग्रह में कुछ दुर्लभ दृश्य भी हैं जबकि कई दृश्य अब उपलब्ध शॉर्ट फिल्मों और वृत्तचित्रों का हिस्सा हैं। इनमें से कुछ दृश्यों का इस्तेमाल किया जा चुका है, लेकिन कुछ दृश्य बेहद विशेष लगते हैं।”

इस खोज का मुख्य आकर्षण एक आधे घंटे की फुटेज है जिसमें महात्मा गांधी की अस्थियां मद्रास से रामेश्वरम तक ले जाने वाली एक विशेष ट्रेन के दृश्य हैं। इन आश्चर्यजनक दृश्यों में दिखाई देता है कि तमिलनाडु के चेट्टीनाड, शिवगंगा, चिदंबरम, मानामदुरई जंक्शन, रामनाड, पुदुकोट्टई जंक्शन जैसे स्टेशनों पर हजारों लोग आंखों में आंसू लिए और हाथ जोड़े हुए इकट्ठा हो रहे हैं ताकि महात्मा की अस्थियां ले जाने वाले कलश की एक झलक पा सकें। इस फुटेज में किसी समुद्र जैसी लगती मानव समुदाय की भारी भीड़ के दृश्य हैं जो मरीना बीच जैसी जगह पर मौजूद हैं, फिर लोगों की भीड़ तब के मद्रास शहर में दिख रही है और हाथों में झंडे व बैनर लिए महात्मा को अपना अंतिम सम्मान प्रकट करने के लिए जूझ रही है। रामेश्वरम को जा रही ये रेलगाड़ी रास्ते में कई प्रमुख स्टेशनों पर रुकती है ताकि लोग अपनी अंतिम श्रद्धांजलि महात्मा को दे सकें और विसर्जन समारोह में तमिलनाडु के कई महत्वपूर्ण राजनेता हिस्सा लेते नज़र आते हैं।

इस संग्रह में मणिलाल गांधी को दिखाने वाला एक दृश्य बहुत दुर्लभ प्रतीत होता है। वे महात्मा गांधी के दूसरे पुत्र थे और उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के फीनिक्स, डरबन में एक गुजराती-अंग्रेजी साप्ताहिक प्रकाशन ‘इंडियन ओपिनियन’ के संपादक के रूप में कार्य किया था। मणिलाल गांधी को हवाई अड्डे पर दिखाने वाले दृश्यों में एक शीर्षक कार्ड भी लगा है जिस पर लिखा है ‘महात्मा गांधी के पुत्र’।

एक अन्य महत्वपूर्ण फुटेज में महात्मा की जनवरी-फरवरी 1946 में हरिजन यात्रा और दक्षिण भारत के दौरे को दिखाया गया है। प्रोजेक्शन ऑफ़ इंडिया पिक्चर्स की इस फ़िल्म में मनप्पराई रेलवे जंक्शन पर महात्मा गांधी के दृश्य दिखाई देते हैं और फिर वे मदुरै में श्री मीनाक्षी मंदिर, पलानी और कुंभकोणम जैसे प्रमुख मंदिरों की यात्रा करते हैं। इन दृश्यों में महात्मा गांधी सी. राजगोपालाचारी के साथ मद्रास में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के रजत जयंती समारोह में हिस्सा लेते हुए दिखाई देते हैं।

इस संग्रह में एक रील है जो महाराष्ट्र के वर्धा में सेवाग्राम आश्रम में विभिन्न गतिविधियों में लगे महात्मा और कस्तूरबा को दिखाती है। ऐसे दृश्य हैं जिनमें महात्मा गांधी उत्सुकता से पेड़ लगाने, मरीजों की सेवा करने और एक मशीन से खेत की जुताई करने में हिस्सा लेते हुए दिख रहे हैं। एक प्रीतिकर दृश्य में कस्तूरबा आश्रम में एक गाय को चारा खिलाते हुए दिखाई देती हैं।

इस संग्रह में एक अन्य रील में महात्मा गांधी के दूसरे गोलमेज़ सम्मेलन में भाग लेने के लिए जहाज एस राजपुताना पर इंग्लैंड जाने की पूरी यात्रा है। इसमें महात्मा गांधी के कैंडिड दृश्य हैं जिनमें वो जहाज के डेक पर सूत कातते हुए, दूरबीन से देखते हुए, शेविंग करते, मुस्कुराते हुए, बच्चों के साथ खेलते हुए और एक बिंदु पर तो कप्तान के पास खड़े होकर जहाज का नियंत्रण अपने हाथ में लेते हुए दिख रहे हैं।

इसमें महात्मा गांधी की अहमदाबाद, पोरबंदर और राजकोट यात्रा के दृश्य हैं जिसमें उनके खाली घर, जिस स्कूल में वो पढ़े और उनका नाम अंकित दिखाने वाले पुस्तकालय रजिस्टर की रॉ फुटेज भी शामिल है। इस फुटेज में महात्मा गांधी के महाराष्ट्र में कहीं श्री शिवाजी कॉलेज के वार्षिक कार्यक्रम में भाग लेने वाले दृश्य भी शामिल हैं।

इस संग्रह में उनके अंतिम दिनों के दृश्य हैं जिसमें उनकी मृत्यु के तुरंत बाद की अवधि, उनके शरीर और खून से सने कपड़ों के क्लोज़ अप, उस दिन के अख़बारों की रिपोर्ट, बिड़ला हाउस, उनके दर्शन करने को जमा होते लोगों का हुजूम और राज घाट की ओर जाती जुलूस यात्रा की फुटेज शामिल है।

महात्मा के कई क्लोज़-अप दृश्य इसमें हैं जिनमें कुछ कैंडिड पल शामिल हैं जो कैमरे में कैद हुए हैं। एक दृश्य में महात्मा गांधी एक रेलगाड़ी में एक अंग्रेज सज्जन के साथ हंसते हुए दिखाई देते हैं और एक दूसरे क्षण में वह अपने एक साथी यात्री के मुंह पर अपना हाथ रख देते हैं। एक अन्य दृश्य में महात्मा समुद्र तट पर टहलते और उसका आनंद लेते हुए दिखाई देते हैं। एक दृश्य में दिखता है कि वह एक सार्वजनिक सभा में एक म्यूजिक प्लेयर को गौर से सुन रहे हैं। एक अन्य दृश्य में महात्मा गांधी एक शरारती मुस्कान वाली छोटी लड़की से बात कर रहे हैं और बाद में उसके साथ एक माला साझा कर रहे हैं।

इस संग्रह में कैमरे में देखते हुए वीडी सावरकर के कुछ दुर्लभ दृश्य भी हैं। इसमें सुभाष चंद्र बोस के दृश्यों के साथ हरिपुरा कांग्रेस सत्र की विशेष फुटेज भी है। पंडित नेहरू, सरदार पटेल, सरोजिनी नायडू, मौलाना आज़ाद सहित उस समय के कई प्रमुख राजनीतिक नेता भी इस फुटेज में प्रमुखता से नजऱ आते हैं। रवींद्रनाथ टैगोर के साथ मुलाकात करते हुए महात्मा गांधी भी संग्रह में हैं। महात्मा गांधी की यूके और फ्रांस की यात्रा के व्यापक दृश्य भी इसमें हैं जिसे कई फिल्म स्टूडियोज़ ने तब कवर किया था।

इसमें दो रील ऐसी हैं जिसमें सिर्फ ऑडियो है जिनमें ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान की आवाज़ है जिन्हें फ्रंटियर गांधी के नाम से जाना जाता है। ऐसा लगता है कि कुछ फुटेज गांधी पर एके चेट्टियार द्वारा बनाई गई डॉक्यूमेंट्री फिल्म की है जो अब तक अनुपलब्ध है। इसके अलावा कुछ फुटेज विठ्ठलभाई झावेरी द्वारा बनाई गई एक लंबी डॉक्यूमेंट्री में जगह पा चुकी है। कुछ दृश्य कनु गांधी संग्रह से प्रतीत होते हैं।

A very wonderful discovery at a time, celebrating the 150th birth anniversary of #MahatmaGandhi. NFAI has discovered 30 reels of unedited footage on #Mahatma. The highlight of the discovery is rare footage of a special train carrying Gandhi’s ashes from Madras to Rameshwaram. pic.twitter.com/grQACt9Pb7

— NFAI (@NFAIOfficial) September 27, 2019

महात्मा गांधी की मृत्यु के ठीक बाद संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में हुई शोक सभा भी इस संग्रह का हिस्सा है। श्रद्धांजलि देने वाले कई देशों के प्रतिनिधियों के अलावा, संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि का एक दृश्य भी इस फुटेज में देखा जा सकता है।

प्रकाश मगदूम ने कहा, “महात्मा गांधी का ये एक अद्भुत विजुअल संग्रह है और आज के वक्त में इसे सेल्युलॉइड फॉर्मेट में ढूंढ़ना वाकई में बड़ा आश्चर्य है। 35 एमएम वाली फुटेज मास्टर पॉजिटिव फॉर्मेट में है और इसमें ध्वनि नहीं है। हमने लंबी अवधि के संरक्षण के लिए नेगेटिव की नकल बनाई है और फिर उसे रिलीज़ पॉज़िटिव फॉर्मेट में कॉपी कर लिया है जो कि प्रदर्शनी वाला फॉर्मेट होता है। प्राथमिक निरीक्षण से जाहिर होता है कि ये फुटेज सामग्री अच्छी स्थिति में है और हम जल्द ही इसे डिजिटल करने की योजना बनाएंगे। हमारी यह भी योजना है कि हम विद्वानों और इतिहासकारों को आमंत्रित करें ताकि वे इस पर अधिक प्रकाश डाल सकें और इस पूरे संग्रह को सूचीबद्ध करने के लिए हमें जानकारी प्राप्त हो सके।”

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