चेन्नई। दिवगंत मुख्यमंत्री जयललिता के निधन के बाद से ही तमिलनाडु की सत्ता पर काबिज होने के लिए उनकी पार्टी में अंदरखाने जमकर घमासान मचा हुआ है। जयललिता की सहयोगी शशिकला ने पहले पार्टी महासचिव बनकर और फिर मुख्यमंत्री पद का प्रस्ताव विधायकों से पारित करवाकर पार्टी में भले अपनी पकड़ मजबूत कर ली हो, लेकिन निवर्तमान मुख्यमंत्री और जयललिता के सहयोगी रहे पन्नीरसेल्वम ने भी साफ कह दिया है कि जयललिता की वारिश का असली हकदार वहीं है और जयललिता ने अपने जीते-जी उन्हें ही मुख्यमंत्री पद दिया। उनकी अंतिम इच्छा भी यहीं थी। दोनों ही गुटों ने सत्ता पर काबिज होने के लिए लामबंदी शुरु कर दी है, हालांकि शशिकला ने 130 विधायकों को एक होटल में ले जाकर अपनी पकड़ मजबूत बना रखी है, लेकिन पन्नीरसेल्वम का दावा है कि उनके पास पचास विधायकों का समर्थन है। वहीं पार्टी के अधिकांश मेम्बर्स भी उनके समर्थन में है। दोनों खेमों के बीच विवाद को देखते हुए राज्यपाल शशिकला को समय नहीं दे पा रहे हैं और ना ही विश्वास मत की बात कह रहे हैं। उधर, राज्यपाल से सहयोग नहीं मिलता देख शशिकला खेमा अब राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की शरण में है। एआईएडीएमके सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल बुधवार रात दिल्ली पहुंच गया। यहां आने के बाद सांसदों ने राष्ट्रपति से मिलने का वक्त मांगा। राष्ट्रपति ने मुलाकात करने के लिए गुरुवार शाम छह बजे का वक्त दिया है। वे चाहते हैं कि राष्ट्रपति खुद इस मामले में दखल दें और शशिकला का शपथ ग्रहण सुनिश्चित करवाएं। शशिकला ने बुधवार को अपने समर्थन में 120 से ज्यादा विधायक जुटाकर शक्ति प्रदर्शन किया था। वह गवनज़्र के सामने इनकी परेड कराना चाहती थीं, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। राज्यपाल चेन्नई से बाहर है। गवर्नर विद्यासागर राव गुरुवार दोपहर डेढ़ बजे चेन्नई के लिए रवाना होंगे। यहां वह पन्नीरसेल्वम से मुलाकात करेंगे। पन्नीरसेल्वम गवर्नर को यह बताएंगे कि किन परिस्थितियों में उन्हें पद से इस्तीफ ा देना पड़ा। वे आरोप लगा चुके हैं कि उन्हें सीएम पद छोडऩे के लिए मजबूर किया गया। अब गवर्नर को यह फैसला करना होगा कि वह पन्नीरसेल्वम को आगे भी बतौर सीएम काम करने की इजाजत देते हैं कि नहीं। शशिकला और पन्नीरसेल्वम दोनों ही खेमे इस बात का दावा कर रहे हैं कि उनके पास पार्टी का समर्थन है। विधायक भले ही शशिकला के पक्ष में हो, लेकिन पार्टी कैडर पन्नीरसेल्वम के पक्ष में है। पार्टी के 1400 काउंसिल मेंबर्स में से अधिकतर पन्नीरसेल्वम के पक्ष में खड़े हैं। अगर सीएम विवाद नहीं सुलझ पाया तो पार्टी के दो फाड हो सकते हैं। पचास विधायकों का साथ रहा तो पन्नीरसेल्वम द्रमुक का साथ लेकर सत्ता में आ सकते हैं, लेकिन द्रमुक ने अभी तक अपने पत्ते खोले नहीं है। वह दुबारा चुनाव के पक्ष में है।

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