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नयी दिल्ली : आधार कार्ड से संबंधित डेटा में सेंध से जुड़ी ‘द ट्रिब्यून’ की खबर पर यूआईडीएआई की ओर से मामला दर्ज किये जाने के बाद समाचार पत्र ने कहा कि अधिकारियों ने ईमानदार पत्रकारिता करने वाले संस्थान को ‘गलत’ समझा।‘द ट्रिब्यून’ के प्रधान संपादक हरीश खरे ने एक बयान जारी कर कहा कि अखबार जिम्मेदार पत्रकारिता के अनुसार खबरों का प्रकाशन करता है।उन्होंने कहा, ‘‘हमें इस बात का खेद है कि अधिकारियों ने ईमानदार पत्रकारिता करने वाले संगठन को गलत तरीके से लिया और पर्दाफाश करने वालों के खिलाफ ही आपराधिक कार्रवाई शुरू कर दी।’’ उन्होंने कहा कि ‘द ट्रिब्यून’ ‘गंभीर खोजी पत्रकारिता की अपनी आजादी को बरकरार रखने के लिए’ सभी तरह के कानूनी विकल्पों को तलाशेगा।

हालांकि ‘‘द ट्रिब्यून’’ समाचार पत्र की पत्रकार रचना खैरा ने आज कहा कि वह उस घटनाक्रम के बारे में खुश है कि उन्होंने एफआईआर ‘‘अर्जित’’ की है। एक अरब आधार कार्डों को लेकर जानकारियां दिये जाने संबंधी एक समाचार पत्र की रिपोर्ट के सिलसिले में दर्ज एक एफआईआर में रचना का नाम है।भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के उप निदेशक बी.एम.पटनायक ने ‘द ट्रिब्यून’ अखबार में छपी खबर के बारे में पुलिस को सूचित किया और बताया कि अखबार ने अज्ञात विक्रेताओं से व्हाट्सऐप पर एक सेवा खरीदी थी जिससे एक अरब से अधिक लोगों की जानकारियां मिल जाती थी।

पांच जनवरी को पटनायक ने शिकायत की थी, जिसके बाद उसी दिन प्राथमिकी दर्ज कर ली गई थी।रचना खैरा ने एक टेलीविजन समाचार चैनल से कहा, ‘‘मेरा सोचना है कि मैंने यह एफआईआर कमाई है। मैं खुश हूं कि कम से कम यूआईडीएआई ने मेरी रिपोर्ट पर कुछ कार्रवाई की और मुझे वास्तव में उम्मीद है कि एफआईआर के साथ ही भारत सरकार यह देखेगी कि ये सभी जानकारियां कैसे ली जा रही थीं और सरकार उचित कार्रवाई करेगी।’’

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