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नयी दिल्ली :‘द ट्रिब्यून’ समाचार पत्र की पत्रकार रचना खैरा ने कहा कि वह उस घटनाक्रम के बारे में खुश है कि उन्होंने एफआईआर ‘‘अर्जित’’ की है। एक अरब आधार कार्डों को लेकर जानकारियां दिये जाने संबंधी एक समाचार पत्र की रिपोर्ट के सिलसिले में दर्ज एक एफआईआर में रचना का नाम है।उन्होंने एक टेलीविजन समाचार चैनल से कहा, ‘‘मेरा सोचना है कि मैंने यह एफआईआर कमाई है। मैं खुश हूं कि कम से कम यूआईडीएआई ने मेरी रिपोर्ट पर कुछ कार्रवाई की और मुझे वास्तव में उम्मीद है कि एफआईआर के साथ ही भारत सरकार यह देखेगी कि ये सभी जानकारियां कैसे ली जा रही थीं और सरकार उचित कार्रवाई करेगी।’’

जब उनसे पूछा गया कि क्या वह अपनी रिपोर्ट पर कायम हैं, तो खैरा ने कहा, ‘‘ हां बिल्कुल। मैं अपने प्रत्येक शब्द पर कायम हूं।’’ उनसे जब पूछा गया कि क्या एफआईआर संदेशवाहक को ही प्रताड़ित करने का मामला है तो खैरा ने कहा, ‘‘मुझे एफआईआर की प्रति नहीं मिली है। मेरे लिए इस समय इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करना मुश्किल होगा क्योंकि इसे यूआईडीएआई अधिकारियों ने दायर किया है, मेरी प्रतिक्रिया भिन्न हो सकती है। इसलिए इस समय इस मुद्दे पर मैं प्रतिक्रिया व्यक्त करने से बचना चाहूंगी।’’ यूएडीएआई के उपनिदेशक से एक शिकायत के आधार पर दायर एफआईआर का जिक्र किये जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘ये मीडिया रिपोर्ट है।

मुझे एफआईआर देखनी है क्योंकि मुझे बताया गया है कि कुछ रिपोर्ट है कि यूएडीएआई ने एफआईआर दर्ज नहीं कराई है। इसलिए मैं नहीं सोचती हूं कि इस समय इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करना ठीक है।’’ क्या उन्हें कोई संगठनात्मक समर्थन मिला था या नहीं , पर उन्होंने कहा, ‘‘ मैं खुश हूं कि न केवल चंडीगढ़ मीडिया बल्कि दिल्ली मीडिया और यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया से मुझे समर्थन का आश्वासन दिया गया है। मैं बहुत खुश हूं कि मीडिया की बड़ी हस्तियों ने भी मेरी रिपोर्ट की सराहना की है। ‘द ट्रिब्यून’ मुझे हर तरह की कानूनी सहायता प्रदान कर रहा है।’’ जब उनसे पूछा गया कि क्या वह केन्द्र से एफआईआर को वापस लेने का अनुरोध करेंगी तो उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे विश्वास है कि भारत सरकार मामले में ताजा घटनाक्रम पर गौर कर रही है। मुझे उम्मीद है कि जल्द ही हमें कुछ सुनने को मिलेगा।’’

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