National Road Safety Week
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30वे राष्टीय सड़क सुरक्षा सप्ताह का समापन समारोह
जयपुर। सड़क दुर्घटना में किसी घायल को देखकर, उनका निकलता खून देखकर, उनको परेशानी में देखकर भी अगर किसी का दिल नहीं पसीजे तो वह इंसान नहीं हो सकता। इन शब्दों के साथ परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने प्रदेश की जनता से अपील की है कि अगर कोई सड़क पर घायल दिखे तो दूसरों से अपेक्षा छोड़कर स्वयं पहल करें। पुलिस, सुप्रीम कोर्ट और राज्य सरकार सभी ऎसे मददगार के साथ हैं।

खाचरियावास ने 30वें राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह के समापन के अवसर पर रविवार को शास्त्रीनगर के साइंस पार्क में आयोजित समारोह में यह विचार व्यक्त किए। उन्होंने इस अवसर पर बंगलौर में आईटी कम्पनी में कार्यरत श्री राघव अग्रवाल, मानसरोवर निवासी श्री अभिषेक श्रीवास्तव एवं सवाई मानसिंह अस्पताल के अधीक्षक डॉ.डी.एस.मीणा को गुड सेमेरिटन के रूप में सड़क दुर्घटनाओं में घायल व्यक्तियों की सहायता के लिए सम्मानित भी किया।

खाचरियावास ने सड़क सुरक्षा सप्ताह के शुभारम्भ पर 4 फरवरी को ही जवाहर सर्किल पर हुए राज्य स्तरीय कार्यक्रम में ऎसे व्यक्तियों को सम्मानित किए जाने की घोषणा की थी।
श्री खाचरियावास ने कहा कि उनके साथ भी ऎसा कई बार हुआ जब वे दुर्धटना के घायलों को अपनी गाड़ी में लेकर अस्पताल पहुंचे। उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटना के घायलों की मदद एवं सड़क सुरक्षा के नियमों की पालना करना न सिर्फ हमारी जिम्मेदारी है बल्कि हमारा कर्तव्य भी है। अपने अधिकार के लिए सजग रहने वाले हर व्यक्ति को अपने इस कर्तव्य के प्रति भी जागरूक और संकल्पित रहना चाहिए।

फैशन में हेलमेट, सीटबैल्ट नहीं लगाने, हेलमेट हाथ में लेकर चलने, ईयरफोन लगाकर सड़क पर चलने, तेज गति से वाहन चलाने जैसी लापरवाहियांं सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा बढा रही हैं और प्रदेश में औसतन हर घंटे एक मौत हो रही है। इसे रोकने के लिए शुरूआत स्वयं से और आज से ही करें। वेे स्वयं सीट बैल्ट और हेलमेट लगाकर ही वाहन चलाते हैं।

परिवहन मंत्री ने विभागीय अधिकारियों से भी सड़क सुरक्षा नियमों की पालना करवाने के लिए बेवजह की सख्ती से बचने को कहा। उन्होंने कहा कि विभाग और अधिकारी आम आदमी की मदद, उसकी सेवा के लिए हैं और उसे उनसे भय नहीं लगना चाहिए। परिवहन नियमों के उल्लंघनकर्ता पर कोई भी कार्यवाही करते समय परिस्थिति को ध्यान में रखना भी जरूरी है।

परिवहन सचिव एवं आयुक्त राजेश यादव ने कहा कि मां-बाप अपने बच्चों को निर्धारित उम्र से पहले वाहन न दें। बल्कि वाहन देने से पहले उसकी वाहन चालन की क्षमता, सड़क पर आई अचानक परिस्थितियों में उसकी प्रतिक्रिया, उसका एटीट्यूड देखकर पूरी काउंसलिंग के बाद ही वाहन चलाने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि मोबाइल की स्क्रीन को देखते हुए वाहन चलाना एक तरह से आंख पर पट्टी बांधकर वाहन चलाने के बराबर है। इससे बचना चाहिए। सड़क सुरक्षा हर क्षण एवं हर दिन जागरूकता का विषय है।

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