raajasthaan mein kaangres banaegee sarakaar, vidhaayakon kee raay se hoga mukhyamantree ka phaisala - gahalot

जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक हजार और पांच सौ रुपए के नोट को आनन-फानन में बंद करने के फैसले गलत बताते हुए कहा इससे आम आदमी परेशान हो रहा है। गरीब, मजदूर और किसान का जीवन दूभर हो गया है। गहलोत ने कहा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहले जापान और फि र गोवा में अपने भाषण में जिस प्रकार की भाषा का उपयोग किया है, वो समझ से परे है। गहलोत ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में एक कार्यक्रम में शिरकत करने के बाद मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा कि कालाधन समाप्त करने के प्रयास सभी सरकारों ने किए हैं। सरकार के इस फैसले का कांग्रेस ने भी पहले दिन से ही समर्थन किया है, लेकिन देशभर में लोग एटीएम के बाहर और बैंकों के बाहर भूखे प्यासे घंटों नोट बदलाने और लेने के लिए खड़े हैं। फिर भी पैसा नहीं मिल पा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी का यह कहना कि मैं आजादी के बाद के अकाउंट खुलवा दूंगा और बेनामी सम्पत्तियों के बारे में अभियान चलाउंगा। उन्होंने प्रश्न किया कि प्रधानमंत्री को यह कदम उठाने से कौन रोक रहा है। काला धन रोकने के विकल्पों पर किए गए सवाल पर गहलोत ने कहा कि पहले जो 30 सितम्बर तक इन्कम डिक्लेरेशन स्कीम चलाई थी, वो ठीक थी। इस अभियान के लिए भी यदि सोच-समझकर पहले पूरे नोट छाप लिये जाते और बैंकों में सप्लाई हो जाते। लोगों को छूट देते तो कोई तरीका निकल सकता था। इस प्रकार के कदम उठाये जाने से ऐसी नौबत नहीं आती और जनता परेशान नहीं होती। गहलोत ने लोगों की तकलीफ ों को देखते हुए सभी स्वयंसेवी संस्थाओं, राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे घरों से निकलें और जो लाईन में खड़े लोग हैं, जिनमें कोई अमीर नहीं है। उनकी मदद करें। सेवा करने का यह एक अच्छा अवसर है। आज घंटों लाईन में लगने के बाद भी पैसे मिलने की कोई गारंटी नहीं है। ऐसी स्थिति में गांवों में एटीएम एवं बैंकों की सुविधा समुचित रूप से उपलब्ध कराई जाए। लोगों को अपना काम-धंधा छोड़कर पूरा दिन खराब करना पड़ रहा है। ऐसे में रात्रिकालीन बैंक काउंटर भी खोले जा सकते हैं। राज्य सरकार द्वारा तीन साल होने के उपलक्ष में जश्न मनाये जाने के सवाल पर गहलोत ने कहा कि फ ासिस्ट सोच की इस सरकार को सरकारी पैसे का दुरुपयोग करने का अधिकार नहीं है। यह जनता का पैसा है। अगर बीजेपी जश्न मनाये, चाहे राजधानी में हो या संभागीय मुख्यालयों पर तो उस पर कोई एतराज नहीं है। सरकारी पैसे से जश्न मनाने की मैं घोर निंदा करता हंू। सरकार में जो मुख्यमंत्री और मंत्री होते हैं वो ट्रस्टी के रूप में हैं। उन्हें जनता के पैसों को बर्बाद करने का अधिकार नहीं है। किसानों के लिए इस सरकार ने कोई काम नहीं किया है और अगर कर भी देते तो कोई अहसान नहीं था क्योंकि उनको चुनकर भेजा गया है।

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